
नीमच। जिले के मनासा विधानसभा क्षेत्र की रामपुरा तहसील में औद्योगिक निवेश होने से रामपुरा एवं उसके आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों जमीनों के भाव में काफी उछाल आया है। इसका असर उस क्षेत्र में इस कदर छाया हे की, जिले में आदिवासी समाज की जमीन बिक्री की सर्वाधिक अनुमतियाँ इसी रामपुरा तहसील से जारी हुई है, वहीं इन अनुमतियों के नाम पर कुछ कार्य इस क्षेत्र के पटवारियों ने ही निपट दिए हैं, उन्होने जिला कलेक्टर से अनुमति लेना उचित नहीं समाज ऐसा ही एक मामला अब संज्ञान में आया है।
अहस्तान्तरित जमीन कैसे हुई हस्तांतरित –
रामपुरा तहसील की ग्राम पंचायत बैसला जो नीमच झालावाड़ मुख्य मार्ग पर स्थित हे, वहीं बैसला से गांधीसागर बांध, अभ्यारण क्षेत्र, एवं ग्रीन को पॉवर प्रोजेक्ट सभी समिप ही स्थित हे, ऐसे में बैसला पंचायत में सडक़ किनारे लगी जमीने इन दिनों लाखों में बिक रही हे, और सूत्र बताते हे की इस क्षेत्र में अन्य जिलों एवं अन्य राज्यों के व्यापारी भी प्रॉपर्टी में निवेश कर रहे है। ऐसे में यहाँ शासकीय जमीनो की बन्दर बाँट भी जमकर हो रही हे, जब इसका सर्वे किया गया और जानकारी जुटाई तो चौकाने वाला खुलासा हुवा, दिनांक 3 जनवरी 2025 को ग्राम पंचायत बैसला में, सर्वे न. 228/1की भूमि जिसका रकबा 1.0110 हेक्टेयर भूमि हे, जो की सोहनबाई बेवा भागीरथ जाती मीणा एवं विनोद पिता भागीरथ मीणा के नाम पर दर्ज हे, जिसका शासन द्वारा इन्हे पट्टा दिया गया हे अपने परिवार के भरण पोषण के लिए, इसलिए उक्त भूमि शासकीय पट्टे की भूमि होकर, जिसकी पावती एवं खाता, खसरा न$कल में अहस्तान्तरित शब्द लिखा हुवा हे, जिसकी बिक्री रजिस्ट्री गांव बैसला के निवासी बंगाली डॉक्टर मोहन मल्लिक के नाम पर हो गयी हे। जब इसका रिकॉर्ड चेक किया तो विगत कई वर्षो से उक्त भूमि पर अहस्तान्तरित शब्द लिखा हुवा आ रहा था, जो की बैसला के पटवारी मुकेश कटारा की कलाकारी से वर्ष 2025 दिसंबर में हटा दिया गया, और जनवरी में इसकी रजिस्ट्री हो गयी, जिसका द्वितीय पक्ष मोहन मल्लिक के नाम पर नामांतरण भी हो गया।
कलेक्टर की अनुमति का कार्य पटवारी स्वयं ही कर देते हे –
ज्ञात हो की इस प्रकार की जमीनों की खरीदी, बिक्री में जिला कलेक्टर की अनुमित अनिवार्य होती हे, फिर चाहे आदिवासी समाज की जमीन खरीदनी हो या शासकीय पट्टे की अहस्तान्तरित भूमि खरीदनी हो, इसका विधिवत प्रकरण चलता हे जिसमे कस्बा पटवारी, आर आई, तहसीलदार, एस डी एम्, सभी के द्वारा जाँच करके प्रतिवेदन के साथ जिला कलेक्टर अपने स्तर पर पुन: जाँच करते हे, और यदि जिला कलेक्टर को लगता हे की अनुमति देनी चाहिए तो ही मिलती हे वरना निरस्त भी हो जाती हे,लेकिन रामपुरा में तो बगैर अनुमति के शासकीय जमीने धड़ल्ले से बिक रही हे, यदि रामपुरा तहसील में वर्ष 2022 से 2025 तक हुवे नामांतरण की सूक्षम्ता से जाँच की जाये तो कई मामले सामने आ जायेंगे ! सूत्र बताते हे की, रामपुरा तहसील के ग्राम पंचायत बैसला, भदाना, अमरपुरा, खिमला, भुज, बस्सी आदि पंचायतो में बगैर अनुमति के इस प्रकार की और भी रजिस्ट्रियां हुई है।
फर्जी रजिस्ट्रीटियों का गड़ बना जिला पंजीयक कार्यालय –
नीमच जिले में इस प्रकार से हुई शासकीय पट्टे की जमीनों की फर्जी रजिस्ट्रियों के अधिकांश मामले नीमच पंजीयक कार्यालय के ही सामने आये हे, 3 जनवरी 2025 को हुई बैसला पंचायत की इस अहस्तान्तरित भूमि की रजिस्ट्री भी नीमच जिला पंजीयक कार्यालय में ही हुई हे, उप पंजीयक अधिकारी शिशिर डोडियार द्वारा उक्त रजिस्ट्री की गयी हे, जबकि किसी भी कृषि भूमि की रजिस्ट्री करवाने में रजिस्टार को उस भूमि का पांच वर्ष का खसरा रिकॉर्ड चेक करना अनिवार्य होता हे, और इस भूमि में बीते पांच वर्ष के रिकॉर्ड में पावती एवं खसरा न$कल पर अहस्तारान्तरित शब्द स्पष्ट लिखा हुवा हे, बावजूद इसके पंजीयक अधिकारी डोडियार ने उक्त भूमि की रजिस्ट्री कर दी, वहीं यह गलती सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा भी की गयी, नियमो को जानते हुवे भी नियमो के विपरीत जाकर इस प्रकार से जिला कलेक्टर के आदेश अधिकार क्षेत्र के मामले में बगैर अनुमती के उक्त रजिस्ट्री कर दी गयी, मनासा हो या जावद इस प्रकार के मामलों की रजिस्ट्रियां जिला पंजीयक कार्यालय में ही होती हे, और सूत्र बताते हे की ऐसी रजिस्ट्रियों को करने में सर्विस प्रोवाइडर एवं रजिस्टार मोटी रकम वसूल करते हे।
रामपुरा क्षेत्र में शासकीय भूमि के अवैध तरीके से खरीदी बिक्री के कई मामले उठते रहे हे, लेकिन ठोस प्रमाण नहीं होने के चलते, अधिकांश मामले रफा दफा हो जाते हे, इस प्रकार के मामलों में क्षेत्र के पटवारी पुरे कार्य में मुख्य सूत्रधार होते हे, जमीन की खोज भी यही करते हैं और फिर अपने किसी परिचित दलाल के माध्यम से उसका सौदा तय करवाते हे, जिसमे ये पटवारी उक्त जमीन की रजिस्ट्री, नामांतरण, अहस्तान्तरित शब्द हटाना, सभी की जिम्मेदारी लेते हे और उसकी एक रकम तय हो जाती है।
जब बैसला के इस जमीनी कांड पर लगातार जानकारी जुटाई गयी, जिसमे इस पुरे मामले में बैसला के पटवारी रहे मुकेश कटारे, रामपुरा तहसील कार्यालय, नीमच पंजीयक शिशिर डोडियार, सर्विस प्रोवाइडर, एवं जमीन का खरीदार बंगाली डॉक्टर मोहन मल्लिक इन सभी के द्वारा, नियमो की धज्जिया उड़ाते हुवे, जिला कलेक्टर के आदेश अधिकार क्षेत्र के मामले को स्वयं ही निपटा डाला।
– पटवारी मुकेश कटारा से संपर्क करने पर उन्होंने जवाब देने से इंकार कर दिया
– मुकेश कटारा पटवारी
कृषि भूमि की रजिस्ट्री करवाने में, यदि भूमि खसरे में असिंचित होती हे तो उस स्थति में बीते वर्षो का खसरा देखा जाता हे, और यदि चालू वर्ष में सिंचित लिखा हे तो ऐसे में 1 वर्ष के खसरे के आधार पर ही रजिस्ट्री हो जाती हे, वहीं यदि खसरा रिकॉर्ड में भूमि अहस्तान्तरित दर्ज हे तो ऐसे में उसकी रजिस्ट्री के लिए जिला कलेक्टर के यहाँ 165 में प्रकरण दर्ज होता हे उसके बाद भूमि स्वामी का आदेश जिला कलेक्टर महोदय देते हे उसके बाद रजिस्ट्री होती हे, लेकिन यदि इस मामले में आदेश नहीं हुवा तो वो रजिस्ट्री अवैध है।
– शिशिर डोडियार, उप पंजीयक जिला पंजीयक कार्यालय, नीमच
में अभी अवकाश पर हु, आने के बाद ही बता पाउँगा
– राजेश सोनी, तहसीलदार, रामपुरा
बैसला में शासकीय पट्टे की अहस्तांतरित भूमि की बिक्री का मामला संज्ञान में आया है, मामले में रामपुरा तहसीलदार से प्रतिवेदन मंगवाया है, प्रतिवेदन आने के बाद दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
– पवन बारिया, एसडीएम मनासा
