पहला संसदीय सत्र है जिसके पहले कोई विदेशी चिन्गारी नहीं उठी: मोदी

नयी दिल्ली 31 जनवरी (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के बजट सत्र के पहले विपक्ष के हंगामे का बहाना बनने वाली किसी विदेशी रिपोर्ट के नहीं आने पर राहत की सांस लेते हुए आज कहा कि 2014 के बाद से संसद का यह पहला सत्र है जिसमें जिसके एक-दो दिन पहले कोई ‘विदेशी चिन्गारी’ नहीं पकड़ी है, विदेश में से ‘आग लगाने’ की कोशिश नहीं हुई है।

 

श्री मोदी ने संसद के बजट सत्र की शुरुआत होने के ठीक पहले हंस द्वार पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही। श्री मोदी ने गुप्त नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर शुरू हो रहे बजट सत्र के पहले देवी लक्ष्मी की प्रार्थना की और गरीब एवं मध्यम वर्ग पर मां लक्ष्मी की कृपा होने की कामना की तथा नारी शक्ति के सशक्तीकरण के लिए इस सत्र में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने की भी बात कही।

 

श्री मोदी ने कहा, “आज बजट सत्र के प्रारंभ मैं समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम करता हूं। और ऐसे अवसर पर सदियों से हमारे यहां मां लक्ष्मी का पुण्य स्मरण किया जाता है- सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि। मंत्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते। मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं, समृद्धि और कल्याण भी देती हैं। मैं मां लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्ग समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।”

 

उन्होंने भारतीय गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे होने को हर देशवासी के लिए सर्वाधिक गौरवपूर्ण क्षण बताया और कहा कि विश्व के लोकतांत्रिक जगत के लिए भी भारत का ये सामर्थ्य अपनी एक विशेष स्थान बनता है। उन्होंने कहा, “ये देश की जनता ने मुझे तीसरी बार ये दायित्व दिया है, और इस तीसरे कार्यकाल का ये पहला पूर्ण बजट है, और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, विकसित भारत का जो संकल्प देश ने लिया है, ये बजट सत्र, ये बजट एक नया विश्वास पैदा करेगा, नई ऊर्जा देगा, कि देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब विकसित होकर रहेगा। 140 करोड़ देशवासी अपने सामूहिक प्रयास से इस संकल्प को परिपूर्ण करेंगे।”

 

उन्होंने कहा कि तीसरे कार्यकाल में हम मिशन मोड में देश को सर्वांगीण विकास की दिशा में, चाहे वो भौगोलिक रूप से हो, सामाजिक रूप से हो या आर्थिक भिन्न-भिन्न स्तर के संदर्भ में हो। हम सर्वांगीण विकास के संकल्प को लेकर के मिशन मोड में आगे बढ़ते जा रहे हैं। नवान्वेषण, समावेशन और निवेश ये लगातार हमारे आर्थिक गतिविधि के रोडमैप का आधार रहा है।

 

उन्होंने कहा कि इस सत्र में हमेशा की तरह कई ऐतिहासिक दिन होंगे और व्यापक मंथन के साथ राष्ट्र की ताकत बढ़ाने का काम करने वाला कानून बनेंगे। विशेषकर नारी शक्ति के गौरव को पुन: प्रस्थापित करना, पंथ संप्रदाय के भेद से मुक्त होकर के हर नारी को सम्मानपूर्ण जीवन मिले, उसको भी समान अधिकार मिले, उस दिशा में ये सत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। सुधार, प्रदर्शन एवं परिवर्तन, जब विकास की तेज गति को प्राप्त करना होता है, तो सबसे ज्यादा बल सुधार पर रहता है, राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर के प्रदर्शन करना होता है और जनभागीदारी से हम परिवर्तन देख सकते हैं।

 

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा युवा देश है, युवा शक्ति है और आज जो 20-25 साल की आयु के नौजवान हैं, जब वे 45-50 साल के होंगे, तब वो विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी होने वाले हैं। उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, नीति निर्धारण की व्यवस्था में उस जगह पर बैठे होंगे, कि वे गर्व के साथ आजादी के बाद जो शताब्दी शुरू होगी, एक विकसित भारत के साथ आगे बढ़ेंगे। और इसलिए ये विकसित भारत के संकल्प की पूर्ति का प्रयास, ये अथक मेहनत, आज जो हमारी, हमारे किशोर हैं, हमारी युवा पीढ़ी है, उनके लिए ये बहुत बड़ा तोहफा बनने वाली है। जो लोग 1930 में, 1942 में आजादी के जंग में जुट गए थे, पूरी देश की युवा पीढ़ी खप गई थी, आजादी के जंग में, और उसके फल, 25 साल के बाद जब पीढ़ी आई, उसको नसीब हुए। उस जंग में जो नौजवान थे, उनको नसीब हुए। आजादी के पूर्व के वो 25 साल, आजादी का जश्न बनाने का अवसर बना। वैसे ही ये 25 वर्ष समृद्ध भारत, विकसित भारत, ये संकल्प से सिद्धि और सिद्धि से शिखर तक पहुंचने का देशवासियों का इरादा, और इसलिए इस बजट सत्र में सभी सांसद विकसित भारत को मजबूती देने के लिए अपना योगदान देंगे, विशेषकर के जो युवा सांसद हैं, उनके लिए तो सुनहरा अवसर है, क्योंकि वो आज सदन में जितनी जागरुकता, जितनी भागीदारी बढ़ाएंगे और विकसित भारत के जो फल है, वो तो उनकी नजर के सामने देखने को मिलने वाले हैं। और इसलिए युवा सांसदों के लिए एक अनमोल अवसर है।”

 

श्री मोदी ने आशा जतायी कि यह बजट सत्र देश की आशा-आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा। उन्होंने अंत में चुटकी लेते हुए कहा, “आज एक बात आपने जरूर नोट की होगी, मीडिया के लोगों को तो जरूर करनी चाहिए। शायद 2014 से लेकर अब तक, शायद ये पहला संसद का सत्र है, कि जिसके एक-दो दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं पकड़ी है, विदेश में से आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है। 10 साल से, 2014 से देख रहा हूं, हर सत्र के पहले शरारत करने के लिए लोग तैयार बैठते थे, और यहां इसको हवा देने वालों की कोई कमी नहीं है। ये पहला सत्र मैं पिछले 10 साल के बाद देख रहा हूं कि जिसमें किसी भी विदेशी कोने से, कोई चिंगारी नहीं हुई।”

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