नयी दिल्ली, 25 जनवरी (वार्ता) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सरकार ने जन कल्याण को नयी परिभाषा दी है और अनुसूचित जातियों-जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं।
श्रीमती मुर्मु ने 76 वें गणतंत्र दिवस के पूर्व संध्या पर शनिवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि सरकार की योजनाओं से खासकर अनुसूचित जातियों के लोगों की गरीबी तेजी से घट रही है।
उन्होंने कहा, “ यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण बदलाव है कि सरकार ने जन-कल्याण को नयी परिभाषा दी है, जिसके अनुसार आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है। वंचित वर्गों के लिये, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की सहायता के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं। अनुसूचित जातियों के युवाओं के लिये प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियां, राष्ट्रीय फ़ेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्तियां, छात्रावास और कोचिंग सुविधायें दी जा रही हैं। ”
श्रीमती मुर्मु ने कहा, “ प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना द्वारा रोजगार और आमदनी के अवसर उत्पन्न करके अनुसूचित जातियों के लोगों की गरीबी को तेजी से कम किया जा रहा है। अनुसूचित-जनजाति-समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिये विशेष योजनायें बनायी गयी हैं, जिनमें धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान -पीएम-जनमन – शामिल हैं। विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिये ‘विकास एवं कल्याण बोर्ड’ का गठन किया गया है। ”
श्रीमती मुर्मु ने कहा,“ वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं। ऐसे प्रयासों में – भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है। न्याय शास्त्र की भारतीय परंपराओं पर आधारित इन नये अधिनियमों द्वारा दंड के स्थान पर न्याय प्रदान करने की भावना को आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में रखा गया है। इसके अलावा, इन नये कानूनों में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर काबू पाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है। ”