विभिन्न जांचों में फंसी प्रभारी सिविल सर्जन के कार्यप्रणाली से जिला अस्पताल की दयनीय हालत को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष के बाद भाजपा विधायक ने स्वास्थ्य मंत्री के सामने उठाये सवाल
सीधी : जिला अस्पताल की विवादो में घिरी प्रभारी सिविल सर्जन से सरकार की छवि धूमिल हो रही है। विभिन्न जांचों में फंसी प्रभारी सिविल सर्जन के कार्यप्रणाली से जिला अस्पताल की दयनीय हालत को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष के बाद भाजपा विधायक ने स्वास्थ्य मंत्री के सामने सवाल उठाये।जिला अस्पताल की प्रभारी सिविल सर्जन डॉ.दीपारानी इसरानी के बनने के बाद से ही उनकी विवादित कार्यशैली सुर्खियों में बनी हुई है। अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाएं बेपटरी हैं। हाल ही में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने जिला अस्पताल के निरीक्षण के बाद दयनीय हालत पर चिंता जताई थी। वहीं हाल ही में उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के सीधी प्रवास के दौरान मंच पर से सीधी विधायक श्रीमती रीती पाठक ने जिला अस्पताल की बदहाली पर ध्यानाकर्षण कराया था।
उनके द्वारा यह भी जोर दिया गया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला अस्पताल में डॉक्टर, स्टाफ, एक्यूपमेंट समेत अन्य आवश्यक सुविधाओं की बनी कमी को दूर कराया जाए। जिला अस्पताल सीधी की दयनीय स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर यहां के जनप्रतिनिधि भी अब मुखर होकर आवाज उठा रहे हैं। उधर विभिन्न जांचों में फंसी प्रभारी सिविल सर्जन डॉ.दीपरानी इसरानी अस्पताल की कमियों को दूर कराने बजाय अपनी मनमानी में जुटी हुई हैं। जिला अस्पताल के हालात यह हैं कि यहां मरीजों की हालत थोड़ी भी गंभीर हुई तो यहां के डॉक्टर सार्थक उपचार करने की बजाय सीधे रेफर करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।
डिलेवरी केसों के मामलों में तो और भी ज्यादा मनमानी देखी जा रही है। सिजेरियन केस सामने आने पर अधिकांश मामलों को रीवा रेफर कर दिया जाता है। रात 8 बजे के बाद तो जिला अस्पताल में डिलेवरी केसों के सिजेरियन मामलों में आपरेशन तक नहीं होते। उस दौरान यदि प्रसूता की हालत गंभीर हुई तो सीधे रीवा रेफर कर दिया जाता है। इसी वजह से कई प्रसूताओं की रीवा अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी है। जिला अस्पताल को रेफरल अस्पताल बना दिया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इतने भारी भरकम स्टाफ के बाजवूद जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिये आवश्यक इंतजाम क्यों नहीं हैं। जिला अस्पताल में करोड़ों के कीमती जीवन रक्षक उपकरण धूल खा रहे हैं लेकिन उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। इस मामले में हमेशा प्रशिक्षित डॉक्टर की कमी का रोना रोया जाता है। यह अवश्य है कि जिला अस्पताल में मेडिसिन विशेषज्ञ समेत अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुये हैं। जिनमें पदस्थापना को लेकर प्रदेश स्तर से बड़ी लापरवाही देखी जा रही है।
राज्य स्तरीय निरीक्षण दल को मिली थी अनियमितताएं
स्वास्थ्य विभाग के राज्य स्तरीय नरीक्षण दल को 5 सितम्बर 2024 को निरीक्षण के दौरान जिला अस्पताल में भारी अनियमितताएं मिली थीं। अस्पताल के आईसीयू में टीएनटी मशीन को बिना उपयोग के रखा पाया गया था जिस पर भारी धूल जमा थी। वहीं लेबर रूम की दीवारों एवं छत पर सीलन पाई गई थी। आईसीयू और लेबर रूम महत्वपूर्ण वार्ड होते हैं जिनकी व्यवस्थाएं लापरवाहींपूर्ण पाई गई थी। निरीक्षण के दौरान पीडियाट्रिक वार्ड की एसी बंद थी, खिडक़ी टूटी, दीवालों एवं छत में सीलन मिली थी। वार्ड में पर्याप्त रोशनी नहीं थी। वार्ड में उपयोग किये जा रहे पलंग जर्जर अवस्था में थे और अधिकांश में चद्दर बिछी नहीं मिली थी। बायो मेडिकल वेस्ट का संग्रहण निर्धारित नियमानुसार नहीं होना पाया गया था। वहीं विभिन्न आरोपी की रीवा की टीम द्वारा भी जांच की जा चुकी है।
सुरक्षा व्यवस्था की निविदा में स्वार्थ सिद्धि का खेल
जिला अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था एवं सफाई व्यवस्था के लिये मार्च 2024 में निविदा आमंत्रण की कार्यवाई हुई थी। बाद में निविदा की अवधि 1 अक्टूबर 2024 को समाप्त होने पर कार्यादेश 18 नवम्बर 2024 को जारी करने का खेल किया गया। आरोप लगाये जा रहे हैं कि इसमें भी सुनियोजित तरीके से नूर एसोसिएटस सिक्योरिटी को जिम्मेदारी सौंपी गई। एक अपात्र फर्म को सिक्योरिटी और सफाई का ठेका देने पर आरोप लगाये जा रहे हैं कि इसमें 5 लाख का लेनदेन हुआ। निविदा समिति द्वारा फाइनेंसियल बिड खोलने पर पात्र निविदा दाता तुलनात्मक चार्ट में तीनों एजेन्सियों की दर समान पाया गया, किन्तु टोटल में नूर एसोसिएटस द्वारा 0.25 कम दर्शाया गया है, जबकि निविदा में 1 पैसा भी कम नहीं दर्शाया जा सकता। इस मामले में मैनेजर एवं सिविल सर्जन पर स्वार्थ सिद्धि करने के आरोप लगाये गये हैं।
