प्रशासन ने झोंकी थी ताकत, शव देखकर बिलखते रहे परिजन
छिंदवाड़ा. मौत के कुएं में फंसे मजदूर और उनकी सुरक्षित वापसी के इंतजार में काटे गए 43 घंटों ने परिजनों की सांसों को रोक दिया था. वे लगातार दुआ कर रहे थे कि सभी सुरक्षित आ जाए. लगातार समय बीतता चला गया और संभावनाएं कम होती चली गई. अधिकारी भी हिम्मत हारने लगे थे. इन 43 घंटों के अंतराल में ऐसा समय भी आया जब तमाम दबे मजदूरों को मृत घोषित कर दिया गया. प्रशासनिक अधिकारियों और एसडीआरएफ की टीम को इस मामले में लगातार असफलता हाथ लगती चली गई. एक रैंप में सफलता नहीं मिलने के बाद दो और रैंप बनाए गए. इस के माध्यम से दबे हुए मृत मजदूरों के शवों को खोजकर बाहर निकाला गया. इसके बाद सभी शवों की पंचनामा कार्रवाई के बाद पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिए. कुंए में दबे हुए मजदूरों को निकालने में जुटी एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने बुधवार की रात दो टनल बनाने का फैसला लिया और इसके बाद उन्हें मजदूरों तक पहुंचने में सफलता मिली. इस पूरे मामले में दोनों ही टीमों को अच्छा खासा समय लग गया. हालांकि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दोनों ने ही इसमें कडी निगरानी रखी थी. मजदूरों के शव निकालने के बाद मृतकों के परिजन उनके शव जिला रायसेन के ग्राम सुलतानपुर ले जाने की बात कह रहे थे लेकिन काफी लंबे समय तक मलमे में शव दबे होने के कारण शव सुलतानपुर ले जाने लायक नही थे इस लिए तीनों मजदूरों का अंतिम संस्कार छिंदवाड़ा में ही कराया गया.