-ट्रांसफर निरस्त करने छात्रावास के भृत्य से ली जा रही थी रिश्वत
सीधी। कलेक्ट्रेट में संचालित आदिवासी विकास विभाग के कार्यालय में आज दोपहर करीब 1 बजे लोकायुक्त रीवा संभाग की टीम ने दबिश कार्यवाही करते हुए प्रभारी सहायक आयुक्त डॉ. डीके द्विवेदी को 5 हजार की रिश्वत लेते ट्रैप किया। कलेक्ट्रेट में लोकायुक्त की ट्रैप कार्यवाही होते ही हडक़ंप मच गया। बाद में लोकायुक्त की टीम रिश्वत लेते पकड़े गए सहायक आयुक्त के साथ ही कार्यालय के एक लिपिक को भी लेकर आगे की कार्यवाही के लिए स्थानीय सर्किट हाउस पहुंची। यहां कार्यवाही का सिलसिला देर शाम तक अनवरत रूप से चलता रहा। मिली जानकारी के अनुसार शासकीय छात्रावास सुकवारी में भृत्य के पद पर पदस्थ सुखलाल कोल का स्थानांतरण मनमानी तौर पर अमरवाह के लिए कर दिया गया था। भृत्य सुखलाल कोल के रिटायरमेंट का समय नजदीक था। गृह ग्राम से दूर पदस्थापना होने से वह अपना ट्रांसफर निरस्त कराने के लिए प्रभारी सहायक आयुक्त डॉ. डीके द्विवेदी से मिलकर समस्या बताई। जिस पर डॉ. द्विवेदी ने 20 हजार रुपए की मांग की। किसी तरह पैसे की व्यवस्था बनाकर सुखलाल कोल द्वारा 15 हजार रुपए प्रभारी सहायक आयुक्त को रिश्वत के रूप में दी। फिर भी उसका स्थानांतरण आदेश निरस्त नहीं किया जा रहा था। डॉ. द्विवेदी शेष 5 हजार की मांग कर रहे थे। मजबूरी में भृत्य सुखलाल कोल ने सहायक आयुक्त के रिश्वत मांगने की लिखित शिकायत लोकायुक्त कार्यालय रीवा संभाग में की। शिकायत मिलने पर उसका परीक्षण लोकायुक्त टीम ने की जो कि सत्यापित मिला। जिसके बाद लोकायुक्त टीम ने आज रिश्वत देने के लिए समय निर्धारित किया। सहायक आयुक्त ने रिश्वत लेने के लिए अपने कार्यालय में दोपहर को भृत्य को बुलाया था। दोपहर करीब 1 बजे जैसे ही भृत्य सहायक आयुक्त के चेंबर में दाखिल हुआ और 5 हजार रुपए की रिश्वत उनके टेबिल में रख दिया। इसके बाद भृत्य द्वारा रिश्वत देने का इशारा बाहर मौजूद लोकायुक्त टीम को किया। इशारा पाते ही लोकायुक्त टीम सहायक आयुक्त के चेंबर में दाखिल हुई और रिश्वत की राशि के साथ डॉ. डीके द्विवेदी को दबोच लिया। प्रभारी सहायक आयुक्त को लेकर लोकायुक्त टीम बाहर आई और कार्यालय के एक लिपिक को भी अपने साथ में लेकर सर्किट हाउस सीधी पहुंचकर आगे की कार्यवाही में जुट गई। कार्यवाही के पूर्ण होते ही रात में आरोपी प्रभारी सहायक आयुक्त को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। प्रभारी सहायक आयुक्त का पदभार संभालने के बाद से ही डॉ. डीके द्विवेदी अपने विवादित कार्यशैली को लेकर काफी सुर्खियों में बने हुए थे। उनके द्वारा स्थानांतरण एवं प्रभार देने के नाम पर जमकर मनमानी की जा रही थी। शिकायत होने के बाद जांच के नाम पर भी अवैध वसूली की जा रही थी।
इनका कहना है –
मैं छात्रावास सुकवारी में पदस्थ हूं। अब स्थानांतरण अमरवाह के लिए कर दिया गया है। स्थानांतरण को निरस्त कराने के लिए जब सहायक आयुक्त से मिला तो 20 हजार रुपए की मांग की गई। जिसमें 15 हजार रुपए पूर्व में ही दे दिए गए थे। आज शेष बकाया 5 हजार रुपए
की रिश्वत सहायक आयुक्त को दिया था।
सुखलाल कोल, शिकायतकर्ता
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त सीधी को आज 5 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया गया है। शेष 15 हजार रुपए पूर्व में शिकायतकर्ता से लिए जा चुके थे। यह रिश्वत शिकायतकर्ता से ट्रांसफर को निरस्त करने के लिए ली जा रही थी। ट्रैप की कार्यवाही 12 सदस्यीय टीम द्वारा की गई।
प्रवीण सिंह, डीएसपी लोकायुक्त रीवा