मारुति वैन, टाटा मैजिक एवं स्कूल ऑटो में ठूंस कर बैठाए जाते हैं बच्चे
जबलपुर: रोजाना टाटा मैजिक, मारुति वैन एवं ऑटो में स्कूली बच्चों को ठूस ठूस कर विद्यालय पहुंचाया जा रहा है। शहर के नेपियर टाउन, सदर, घमापुर, राइट टाऊन सहित अन्य इलाकों से हजारों बच्चे नॉर्थ सिविल लाइन स्थित क्राइस्ट चर्च स्कूल, संत जोसेफ कॉन्वेंट विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय जैसे शहर के अन्य स्कूलों में पढ़ने आते हैं। ज्यादातर स्कूली वाहन एलपीजी सिलेंडर से चलाए जा रहे हैं। वहीं, 6 सवारी की क्षमता वाले ऑटो में 12 से 14 बच्चे और आठ सवारी वाली वैन में 16 से 17 बच्चे तक बैठाए जा रहे हैं। दूरी की वजह से बच्चों को टाटा मैजिक, वैन एवं ऑटो से विद्यालय भेजा जाता है। ज्यादातर मैजिक वैन प्राइवेट नंबर और बिना फिटनेस के भी सड़कों पर दौड़ रही है। इतना ही नहीं एलपीजी सिलेंडर और सामान रखने की जगह पर भी 3 से 4 बच्चों को बैठाया जा रहा है।
गाड़ियां ओवरलोड, बच्चे होते परेशान
बच्चों को लाने और ले जाने वाले ऑटो की स्थिति यह है की पीछे की सीट पर बैठे बच्चों के पैर बाहर लटके रहते है। जो कभी भी किसी भी दुर्घटना का शिकार बन सकते हैं। प्रत्येक गाड़ियों में कम से कम 15 से 20 बच्चे ठूसकर भरे जाते हैं। जो बच्चों की जिंदगी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अगर किसी तरह की कोई घटना होती है तो विद्यालय प्रबंधन सबसे पहले अपनी जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ लेता है। विद्यालय प्रबंधन द्वारा दूर से आये बच्चों का एडमिशन लेने से पहले ये भी नहीं सोचा जाता कि आखिर बच्चा विद्यालय तक कैसे पहुंचेगा।
देखते हैं अपना मुनाफा
शहर के ऑटो एवं वैन चालक बच्चों को स्कूल ढोने में सिर्फ अपना मुनाफा ढूंढते हैं आसपास हो रही घटनाओं से वह कभी भी सबक नहीं लेते है। बच्चों को असुरक्षित तरीके से रोज स्कूल पहुंचाया और लाया जाता है। छोटे बच्चों ने यह भी बताया कि लंबे समय तक तंग जगह पर बैठने से उनके हाथ और पैर भी सुन्न हो जाते हैं। अभिभावको का भी कहना है कि जब वे ऑटो में कम बच्चों को बिठा कर ले जाने की बात कहते हैं तो ऑटो चालक पैसे बढ़ाने का दबाव बनाते हैं। ऐसे में 6 की क्षमता वाले वाहन में 10 से 12 बच्चों को बैठाया जा रहा है। अभिवावक अरुण सिंह ने बताया कि ऑटो और वैन चालक ने झूठ बताया कि वाहन में 8 बच्चे जाते हैं। बाद में पता चला कि गाडी में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जा रहे हैं।
इनका कहना है
बच्चों को लाने ले जाने वाली गाड़ियों की चेकिंग यातायात पुलिस द्वारा की जाती है। आपके द्वारा बताई गई कंप्लेंट पर भी जांच की जाएगी। क्षमता से अधिक बच्चों को बैठने पर कार्रवाई भी की जाएगी।
प्रदीप शेंडे, एएसपी, यातायात