घर तोड़ने में आगे है प्रशासन, मकान देने का नहीं है पता
जबलपुर। विश्व प्रसिद्ध तांत्रिक मंदिर के नीचे कच्ची झोपड़ी नुमा घर में रहने को मजबूर सरदार वल्लभभाई पटेल के वार्ड वासी कई सालों से अपने हित के लिए तरस रहे हैं। जानकारों की माने तो यहां लगभग 5000 के आसपास आमजन कच्ची झोपड़ियों में रह रहे थे। वार्ड के लोगों का घर अतिक्रमण बताकर तोड़ तो दिए, परंतु भड़पुरा में घर देने के वादे को सच साबित करने में आठ साल का समय लगा दिया गया। अभी भी इसके मिलने की कोई आस नजर नहीं आ रही है। वार्ड में घर के साथ साथ पीने के पानी की एवं मोहल्ले की सफ़ाई व्यवस्था भी बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। रहवासियों द्वारा पार्षद को समस्याओं से कई बार अवगत कराया लेकिन उन्होंने भी आरोप लगाया है कि निगम द्वारा उनकी भी नहीं सुनी जा ती है। रोज़ कमाने और खाने वाले वार्ड के अधिकतर परिवार अपना आवास ना होने के कारण दुखी है।
कलेक्टर ने लिया संज्ञान
वार्ड के लोगों का कहना है कि हमारा घर और उसी में बनी दुकानो को आठ साल पहले बुलडोज़र से तोड़ दिया गया था। तत्कालीन सी एम शिवराज सिंह ने वादा किया था कि जो परिवार यहां बीस सालों से रह रहे है उनका घर उन्हीं को सौंप दिया जाएगा। वहीं लोगों ने यह भी बताया कि विधानसभा चुनाव के समय वार्ड के 30 से 40 लोगों को प्रशासन द्वारा पट्टे भी दिए गए थे लेकिन जब उन्होंने भड़पुरा जाकर अपने हक की जमीन देखनी चाही तो वहां कुछ नहीं मिला। जिस पर नवभारत द्वारा प्रमुखता से आवाज उठाने पर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही को मॉनिटर करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि जमीन को लेकर जो भी प्रोग्रेस हुई है उसे में खुद अपनी देखरेख में रखूंगा।
भड़पुरा में मिलनी थी जमीन
प्रशासन द्वारा लोगों से वादा किया गया था कि उन्हें भड़पुरा में ज़मीन दी जाएगी। परंतु सालो बीत जाने के बाद भी उनके कोई घर नहीं मिला है। कच्चे मकानों में रह रहे लोग बताते है कि बारिश में घर की छत टपकती है। और पानी भी अंदर आता है।
इनका कहना है –
हमारा घर तोड़ दिया गया और हमें नया घर देने का वादा किया गया था जो अभी तक नहीं मिला है।
छोटी बाई
यहां तकरीबन 5000 के आसपास लोग रहते हैं सभी को अपने मकान का इंतजार है अभी परेशानियां बहुत है।
विजय चक्रवर्ती
विधानसभा चुनाव के समय 30 से 40 लोगों को पट्टे दिए गए थे। लेकिन भड़पुरा में कुछ नहीं था। यह चुनाव के समय ही होता है।
अनिल केवट
बरसात के समय टूटे हुए घरों में बड़ी परेशानी होती है। प्रशासन से विनती है कि जल्दी हमें हमारा हक दिया जाए।
गोलू वाल्मीक
जमीन और घर मिलने को लेकर अभी मुझे कोई जानकारी नही थी। आपके द्वारा यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। मैं इस पर प्रोगेस चेक करवाता हूँ।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर, जबलपुर