नयी दिल्ली, 25 नवंबर (वार्ता) वित्त मंत्रालय की एक ताजा मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर के प्रारंभ में कीमतों में नरमी के रुझान दिखे हैं और अनुमान है कि देश में खाद्य मुद्रास्फीति में आने वाले महीनों में कमी हो सकती है।
अक्टूबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 6.21 प्रतिशत रही जो 14 महीने का इसका उच्चतम स्तर है। महंगाई का यह दबाव खाद्य वस्तुओं के दामों के ऊंचा होने के कारण है जिनमें कुछ सब्जियां भी हैं। रिपोर्ट के अनुसार टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियों के पर मूल्यों का दबाव इनके प्रमुख उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से आपूर्ति में व्यवधान ने दबाव में योगदान दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनिंदा खाद्य वस्तुओं की कीमतों के मौजूदा दबाव के बावजूद, कृषि उत्पादन की अच्छी संभावनाओं ने आगे मुद्रास्फीति का दबाव हल्का रहने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर की शुरुआत में रुझानों ने प्रमुख खाद्य कीमतों में नरमी का संकेत हैं, हालांकि अंतराष्ट्रीय परिस्थितियों के चलते घरेलू मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर प्रभाव बना हुआ है।
मंत्रालय की सोमवार को जारी अक्टूबर-2024 की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में आने वाले महीनों में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं के प्रति ‘सतर्कता के साथ आशावादी” रुख दिखता है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र को अनुकूल मानसून की स्थिति, बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति से लाभ मिलने की संभावना है। वैश्विक हालात के चलते और मानसून के महीनों में कुछ समय तक नरमी के बाद, भारत में आर्थिक गतिविधियों का संकेत देने वाले नियमित आंकड़ों में अक्टूबर में पुन: सुधार दिख रहा है। इन आंकड़ों में ग्रामीण और शहरी मांग के संकेतक और परचेजिंग मैनेजर सूचकांक और ई-वे बिल सृजन जैसे आपूर्ति पक्ष के आंकड़े शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है संगठित क्षेत्र में रोजगार का विस्तार हो रहा है, विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियों में उल्लेखनीय वृद्धि दिख रही है और संगठित क्षेत्रों में युवाओं का प्रवाह मजबूत है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कहा गया है कि विकसित बाजारों में मांग में नरमी के कारण भारत की निर्यात वसूली में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।