विंध्य की डायरी
डॉ रवि तिवारी
विकास से पिछड़े विंध्य की आसमानी उड़ान का सपना राजेंद्र शुक्ल (मुन्ना) ने पूरा करके रिमही जनता को दिखा दिया. जनता के दिये विकास पुरुष के सम्मान से सम्मानित प्रदेश के उपमुख्यमंत्री शुक्ल ने सम्पूर्ण विंध्य को भले अपनी कल्पना में स्थान न दिया हो पर आजादी के बाद बनी विंध्य प्रदेश की राजधानी को 75 बरस बाद वो सब कुछ हासिल हो गया जो तब उसकी जरूरत में शामिल था. कहते हैं पालने में ही पूत के पांव का मूल्यांकन करने वालों ने विंध्य की जनता को तभी नींद में ऐसा नीचे लिटा दिया कि उसे खड़े होने के लिए आजादी के बाद आठ दशक का इंतजार करना पड़ा.
किसी काम को लेकर अगर जिद्द हो तो शुक्ल जैसी.एरोड्रम की लंबाई बढ़ाने के लिए निजी जमीनों का अधिग्रहण करना पड़ा तो सरकार का हिस्सा न होते हुए भी सत्तापक्ष के विधायक होते हुए कर दिखाया. प्रदेश विधानसभा में 230 सदस्यों में से एक होते हुए रीवा के विकास की जो पहल की उसने उसे महानगरों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है. इतना ही नहीं राजनीति में पार्टी को किए वादों में भी हमेशा खरे उतरने वाले उपमुख्यमंत्री शुक्ल ने विधानसभा में विपक्ष को हाशिए में लाकर खड़ा कर दिया. लोकसभा में पिछले कई बार से बिना बरसे गुजर रहे बादलों का रास्ता फिर कोई रोक नही पाया. सत्ता के शीर्ष पर रहे अमहिया के बोलबाला को कायम रखते हुए विकास में जनता की भागीदारी सुनिश्चित कर ऐसा प्रतिमान गढ़ दिया है जो शायद किसी के लिए ढ़हा पाना सम्भव नही होगा.
काश इस बार मिले खाली हाथो को काम
प्रदेश के मुखिया का कार्यभार ग्रहण करने के बाद डॉ मोहन यादव ने प्रदेश में औद्योगिक सम्भावनाओ की तलाश के लिए रीजनल कानक्लेव की जो पहल शुरू की है. उससे छोटे उद्योग और स्टार्टअप की कल्पना करने वालों के सपने साकार हो सकते हैं इसका विश्वास बढ़ा है. राजनीति के संरक्षण में बड़े उद्योगों को मिल रहे अवसरों के कारण प्रदेश में छोटे उद्योगों की स्थिति लगातार गिरती जा रही है.रीजनल इनवेस्टर मीट ने जो नए रास्ते खोले हैं उससे उम्मीद जागी है कि इस बार विंध्य के बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उनके गांव घर मे मिल सकते हैं. उन्हें रोजी कमाने के लिए महाराष्ट्र और गुजरात नहीं जाना पड़ेगा. घरों में बुजुर्ग मां-बाप को छोडक़र परदेश में दिनरात खून-पसीना एक कर होने वाली कमाई का आधा से अधिक हिस्सा वही खत्म हो जाता है. जो बचा उसमें कितनी समस्याएं हल होगी यह किसी से छिपा नही है. बस सरकार की इस पहल का लाभ उन्हें मिले जिन्हें कुछ करना है. नही तो ज्यादातर समझौते कागजो में ही होकर वही तक सीमित रह जाते हैं.
आप ने संगठन को खड़ा करने दिया संकेत
विंध्य में तीसरे मोर्चा के रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए आम आदमी पार्टी ने जिस प्रकार से स्थानीय इकाइयो को मजबूत करने की पहल अभी से शुरू कर दी है. उसको लेकर छोटे दलों में संगठनात्मक गतिविधियां तेज हो गई हैं. जानकार ऐसा कह रहे हैं कि यदि आप ने निचले स्तर तक संगठन को खड़ा कर लिया तो जनता का विश्वास हासिल करने में उसे ज्यादा वक्त नही लगेगा. राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा चर्चा में बने रहने के कारण उन्हें नाम और चिन्ह की पहचान कराने में अधिक मेहनत नही करनी होगी