संजय व्यास
भारत आदिवासी पार्टी (बाप) की राजस्थान में मिली अच्छी चुनावी सफलता के बाद अब निमाड़ अंचल पर निगाह है. गत विधानसभा चुनाव में बाप के बैनर तले रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट पर चुनाव लड़े कमलेश्वर डोडियार ने जीत दर्ज की थी. इससे उत्साहित भारत आदिवासी पार्टी रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर, धार जैसे आदिवासी बहुल जिलों में पार्टी के विस्तार की योजना पर कार्य कर रही है. वह यहां कांग्रेस की व्याप्त गुटबाजी और उससे छिटक रहे आदिवासियों की स्थिति का फायदा उठाना चाहती है.
बाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत विगत दिनों बामनियां में आदिवासी समाजसेवी मामा बालेश्वर दयाल की पुण्यतिथि कार्यक्रम के बहाने आदिवासियों का मन टटोलने आए थे. कार्यक्रम में आदिवासियों के आस्थावान नेता मामा बालेश्वर दयाल को भारत रत्न देने की मांग उठाकर रोत ने आदिवासियों का मन भी मोह लिया. एक तरह से अंचल के आदिवासियों में पैठ बनाने के पहले चरण में राजकुमार रोत सफल रहे हैं.
अध्यक्ष के लिए लॉबिंग में लगे दावेदार
बड़वाह विधानसभा में भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर भाजपा में कोई खुलकर सामने नही आया है, लेकिन सूत्र कहते है कि दावेदारों ने लॉबिंग प्रारंभ कर दी है. बड़वाह विधानसभा के बड़वाह में 23 बूथों व ग्रामीण में 66 बूथ स्तर पर अध्यक्षों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं. अब मंडल अध्यक्षों के चुनाव कराकर अध्यक्ष चुने जाएंगे. शहर व ग्रामीण मे कई नाम ऐसे है, जो अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं और उन्होंने अंदर ही अंदर लॉबिंग भी शुरू कर दी है, ताकि जब चयन प्रकिया शुरू हो तो उनका नाम आ सके.
बड़वाह विधानसभा के मंडल बूथों पर अधिकतर विधायक सचिन बिरला के समर्थक बूथ अध्यक्ष बने है. सूत्र कह रहे है कि नगर और ग्रामीण अध्यक्ष सर्वसम्मति से तय किए जा सकते है, ताकि दूसरो शहरों मे भी सकारात्मक संदेश दिया जा सके. इस पर कौन खरा उतरेगा ये देखने वाली बात है. इसको लेकर भी चर्चा चल रही है. नगर में अभी कोई खुलकर सामने नही आया है, जबकि ग्रामीण अध्यक्ष पद के लिए राजकुमार वर्मा, सिंगाजी पटेल, नवलसिंह पंवार, अर्जुन केवट, अशोक जाट के नाम सामने आ रहे हैं.
परिवारवाद को कब तक आगे नहीं आने देगी भाजपा
राजनीतिक विरासत का खात्मा कर अन्य लोगों को मौका देने जुटी भाजपा के सामने अनेक चुनौतियां हैं. इसमें मालवा- निमाड़ अंचल में कई जगह उसे बगावत का सामना भी करना पड़ा. प्रदेश के पूर्व भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके और सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र को खंडवा लोकसभा से टिकट न देकर ज्ञानेश्वर पाटिल को टिकट दिया गया हालांकि यहां पर बगावत के सुर सरे आम दिखाई दिए. नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान ने निर्दलीय रूप में खंडवा लोकसभा से प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरा और बुरी तरह हार गए. लोक सभा की पूर्व अध्यक्ष व इंदौर से सर्वाधिक बार सांसद रहने की रिकार्डधारी श्रीमती सुमित्रा महाजन अपने बेटों की विधान सभा चुनावों में सियासी लांचिंग में वर्षों से लगी रहीं पर मोदी-शाह की जोड़ी के वंशवाद पर प्रहार के चलते यह नहीं हो सका. गत विधान सभा चुनाव में आकाश की बजाए कैलाश विजयवर्गीय को चुनावी मैदान में उतारना भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है. अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी संगठन परिवारवाद को कितने दिनों तक आगे नहीं आने देता क्योंकि अगली पीढ़ी में और भी ऐसे नेता है जिनके पुत्र भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए पार्टी का काम का जोर-शोर से कर रहे हैं. अगली लाइन में मंत्री विजय शाह भी अपने पुत्र को लेकर तैयार हैं