अर्थव्यवस्था की रफ्तार कायम रहने के संकेत !

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही शुक्रवार को संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई. राष्ट्रपति के अभिभाषण के तुरंत बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा और राज्यसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया. आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, विकास के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए, वित्त वर्ष 2026 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है. यानी अर्थव्यवस्था की मौजूदा रफ्तार कायम रहने के संकेत आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए हैं. दरअसल,सर्वेक्षण एक वार्षिक दस्तावेज है जिसे सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाता है.पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में अस्तित्व में आया था, जब यह बजट दस्तावेजों का हिस्सा हुआ करता था. 1960 के दशक में इसे केन्द्रीय बजट से अलग कर दिया गया और बजट प्रस्तुत होने से एक दिन पहले इसे पेश करने की परंपरा शुरू हुई.जाहिर है वित्त मंत्री शनिवार को वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी. यह संतोषजनक है कि आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मजबूत बाह्य खाता और स्थिर निजी खपत के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है. ऊंचे सार्वजनिक व्यय और बेहतर होती कारोबारी उम्मीदों से निवेश गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद सर्वेक्षण में व्यक्त की गई है. जाहिर है वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित हैं. आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार

चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति के नरम पडऩे की संभावना है. यानी कीमतों में गिरावट होगी. दरअसल, खरीफ फसलों की आवक से महंगाई में राहत की उम्मीद है. भारत को जमीनी स्तर के संरचनात्मक सुधारों, नियमन को शिथिल करते हुए अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बेहतर करने की जरूरत आर्थिक सर्वेक्षण में महसूस की गई है. कुल मिलाकर आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था संतोषजनक रफ्तार से आगे बढ़ रही है. राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी जिक्र किया गया है कि इस बार बजट सत्र में सरकार अनेक महत्वपूर्ण विधाई काम करने वाली है. इस दौरान ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ और वक्फ (संशोधन) विधेयक जैसे कानूनों पर तेज गति से कदम आगे बढ़ाया गया है. सरकार का दावा है कि देश कि विकास यात्रा के इस अमृतकाल को सरकार अभूतपूर्व उपलब्धियों के माध्यम से नई ऊर्जा दे रही है.राष्ट्रपति के मुताबिक, सरकार के प्रयासों के कारण देश के 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं. बहरहाल,सरकार के दावे पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है. राष्ट्रपति का अभिभाषण मंत्रिमंडल तैयार करता है. जाहिर है अभिभाषण के माध्यम से सरकार अपनी उपलब्धियों बारे में संसद को अवगत कराती है. यह सही है कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार संतोषजनक है लेकिन बेरोजगारी दूर करने की दिशा में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. महंगाई और बेरोजगारी इन दोनों मुद्दों पर आम आदमी को राहत मिलनी चाहिए. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों पर बढ़ता आर्थिक कर्ज भी चिंताजनक है. इस बारे में वास्तविक आंकड़े केंद्रीय बजट के जरिए ही सामने आएंगे, लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बजट का बड़ा हिस्सा कर्ज देने में व्यय होने वाला हैं. दरअसल,लाभार्थी और मुफ्त की योजनाओं के कारण केंद्र और राज्य सरकारों पर भारी आर्थिक बोझ है.ऐसे में ये सरकारें इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में कितना निवेश कर सकेंगी, कोई नहीं जानता. यदि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रभावित होता है तो इसका असर पूंजी निवेश पर पड़ता है. जाहिर है बढ़ता कर्ज भी अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का कारण है. हालांकि इसका जिक्र आर्थिक सर्वेक्षण या राष्ट्रपति के अभिभाषण में नहीं किया गया है.

 

 

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