सियासत
भाजपा संगठन ने अपनी सभी जिला इकाइयों को निर्देशित किया है कि ऐसे किसी भी नेता को सदस्यता अभियान के दौरान पार्टी का सदस्य ना बनाया जाए जिन्होंने लोकसभा या विधानसभा चुनाव में बगावत कर पार्टी के उम्मीदवार को नुकसान किया. मालवा और निमाड़ में इस सर्कुलर की जद में करीब आधा दर्जन नेता आ गए हैं. जैसे पूर्व भाजपा अध्यक्ष स्वर्गीय नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्ष चौहान बुरहानपुर से बगावत कर भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस के खिलाफ चुनाव लड़े थे. हालांकि उनकी जमानत जप्त हो गई थी लेकिन उनकी उम्मीदवारी से भाजपा को नुकसान पहुंचा था। हर्ष चौहान फिर से भाजपा में आना चाहते हैं. इसी तरह जोबट में माधो सिंह डाबर निर्दलीय चुनाव लड़े थे. जाहिर इन सभी को पार्टी में वापस लेने के लिए प्रदेश नेतृत्व से संपर्क करना होगा. कोई भी जिला या मंडल इकाई इन्हें सीधे सदस्य नहीं बना सकती. पार्टी ने सभी मंडल और जिला अध्यक्षों को भी निर्देश दिए हैं कि ऐसे नेताओं ने पार्टी की डिजिटल सदस्यता ले भी ली हो तो उसे निरस्त कर दें.
अनुशासनहीनता के मामले जिन लोगों पर हैं, उन्हें सक्रिय सदस्य भी नहीं बनाना है. इनमें कई कद्दावर नेता जैसे चाचौड़ा से पूर्व विधायक ममता मीणा, रसाल सिंह, नारायण त्रिपाठी, दीपक जोशी, गिरिजा शंकर शर्मा, वीरेंद्र रघुवंशी, केदार शुक्ला, रुस्तम सिंह, पूर्व सांसद बोध सिंह भगत, अवधेश नायक, राव यादवेंद्र सिंह यादव, बैजनाथ यादव सहित कई दिग्गज शामिल हैं. भाजपा में भले ही हजारों की तादाद में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हो गए हों, लेकिन भाजपा के बागियों की घर वापसी संभव नहीं है. दरअसल, विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान बागियों को मनाने के भरसक प्रयास किए गए थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संभागीय बैठकें ली थीं तो उन्होंने स्वयं बागियों से आग्रह किया था. उनके प्रयास से ही धार में रंजना बघेल और जबलपुर में धीरेंद्र पटैरिया ने अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया था.
ऐसे नेताओं में ही मैहर से विधायक रहे नारायण त्रिपाठी का नाम शामिल है। त्रिपाठी कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के साथ भाजपा से भी विधायक रहे. विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपनी विंध्य विकास पार्टी बना ली थी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे का नाम भी बागियों की लिस्ट में शामिल है. हर्ष चौहान भी बुरहानपुर से भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस के विरुद्ध चुनाव लड़े थे. अब ऐसे नेताओं को किसी भी सूरत में वापस नहीं लिया जाएगा. पार्टी सूत्रों के अनुसार, इनमें से बहुत सारे नेताओं ने भाजपा की डिजिटल सदस्यता ले ली है और वे सक्रिय सदस्य बनने के प्रयास में भी लगे हैं. संगठन ने कहा है कि ऐसे बागी यदि सदस्य बन भी गए हैं तो उन्हें बाहर कर दिया जाए. अनुशासन समिति ही तय करेगी कि किसे पार्टी में लेना है.