कोलंबो/नयी दिल्ली, 04 अक्टूबर (वार्ता) श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके, विदेश मंत्री एस. जयशंकर का निमंत्रण स्वीकार करने के बाद अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर नयी दिल्ली आ सकते हैं। यह जानकारी एक समाचार रिपोर्ट से प्राप्त हुई।
इस बीच, विदेश मंत्री जयशंकर आज सुबह कोलंबो पहुंचे और उनके श्रीलंका के नए नेतृत्व से मुलाकात करने की उम्मीद है।
विदेश मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि, “फिर से कोलंबो आकर अच्छा लगा। आज श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ अपनी बातचीत को लेकर उत्सुक हूं।’
श्रीलंका में 21 सितंबर को दिसानायके के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद श्री जयशंकर वहां का दौरा करने वाले पहले उच्च रैंकिंग वाले विदेशी गणमान्य हैं।
भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि भारत की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति और सागर दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए,श्री जयशंकर की यात्रा पारस्परिक लाभ के लिए दीर्घकालिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
ली मिरर ने सूत्रों के हवाले से कहा कि अपनी यात्रा के दौरान श्री जयशंकर द्वारा श्रीलंका में भारत द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं और इसके आगे के रास्ते पर भी चर्चा करने की उम्मीद है। इसके बाद श्री जयशंकर नयी दिल्ली जाने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति की आधिकारिक यात्रा पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जैसा कि पिछले श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आदर्श रहा है।
जानकारी के अनुसार श्री दिसानायके पहले नयी दिल्ली का दौरा करके पिछले राष्ट्रपतियों द्वारा स्थापित मानदंड को बनाए रखेंगे। हालांकि तारीखों का अभी तक पता नहीं चला है लेकिन राष्ट्रपति की पहली विदेश यात्रा 14 नवंबर के संसदीय चुनाव समाप्त होने के बाद होगी।
विदेश मंत्री का प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या से शिष्टाचार मुलाकात करने का भी कार्यक्रम है।
विदेश मंत्री अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ श्रीलंकाई विदेश मंत्री विजिता हेराथ के साथ भी बैठक करेंगे। श्री जयशंकर के साथ भारत के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इसमें शामिल होंगे।
विदेश मंत्री ने इस वर्ष फरवरी में दिसानायके से मुलाकात की थी जब वर्तमान श्रीलंकाई राष्ट्रपति विपक्ष में रहते हुए भारत की आधिकारिक यात्रा पर गए थे।
पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चुनाव से पहले श्रीलंका का दौरा किया था और श्री दिसानायके सहित प्रमुख राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों से मुलाकात की थी।
इकोनॉमी नेक्स्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में नवीकरणीय ऊर्जा, विद्युत और बंदरगाह परियोजनाओं पर बल दे रहा है। इसकी कुछ परियोजनाएं लंबे अनुमोदन प्रक्रिया और अदालत में कानूनी चुनौतियों के कारण अधर में लटकी हुई हैं।