युवाओं के सामने रोजगार का संकट

बढ़ती बेरोजगारी ने बढ़ाई चिंता

इंदौर: पिछले कुछ वर्षो से युवाओं में बेरोज़गारी बढ़ती दिखाई दे रही है. इनमें शहरी से ज्यादा ग्रामिण युवा है जो चिंता की विषय है क्योंकि आने वाले समय में यह और बढ़ सकती है.भारत जैसे देश में बेरोज़गारी दर दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले समय में समाज और अर्थ व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. देखने में आया है कि कोरोना महामारी के बाद से बेरोज़गारी की दर बढ़ी है. त्रासदी के समय जिस तरह से लोगों को नौकरी से निकाला गया था उसके बाद उनमें अधिकांश लोगों को नौकारी नहीं मिल पाई है.

कुछ ने छोटा-मोटा कामकाज शुरू कर लिया है तो कुछ छुट्टा काम कर अपनी जीविका चला रहे है. पढ़े लिखे युवाओं के हाथ में डिग्री तो है लेकिन सही वेतन नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनमें उदासी बढ़ रही है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले युवाओं को नौकरी न मिलने पर उन्हें भी ऐसा कार्य करना पड़ा रहा है जो कि उन्हें उनकी डिग्री के अनुरूप उनके अस्तित्व को नीचे ले जा रहा है. देश के कई युवा अच्छे रोज़गार के कारण विदेश जा पहुचे है.

इनका कहना है
आज ग्रेजुएट पोस्ट ग्रेजुऐट युवाओं की संख्या बढ़ रही है जिसका फायदा कंपानी वाले उठाते हुए कम वेतन पर काम करवाना चाहते हैं. केंद्र सरकार को कंपनी की गाईड लाईन बना देनी चाहिए.
– ज़ुबैद आलम
ग्रामीण युवा पढ़ लिखकर शहर की ओर आ जाते हैं. असंतुष्ट होकर मंडी में काम करते दिखाई देते है. कई तो कम वेतन में ही कार्य करने पर मजबूर हो चुके है.
– मयंक बेनवाल
बेरोज़गारी देश का बड़ा मुद्दा है जिसे जल्द हल करना चाहिए क्योंकि हर वर्ष नए कॉलेज खुल रहे है. लेकिन नौकरी के लिए कोई बड़े प्लांट नही है जिसकी ज़रूरत देश हो है.
– सुरजीत सिंह टक्कर

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