सियासत
स्वर्गीय बड़े भैया के बारे में कहा जाता था कि वो बेहद पारिवारिक व्यक्ति थे। उन्होंने विशाल शुक्ला परिवार को अनेक वर्षों तक संयुक्त परिवार बनाए रखा। परिवार तो खैर कभी बिखरा नहीं, लेकिन राजनीतिक रूप से संजय शुक्ला कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने पार्षद और विधानसभा का चुनाव जीता। बड़े भैया के ज्येष्ठ पुत्र राजेंद्र शुक्ला भाजपा में बने रहे। उन्हें 2003 में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 से टिकट दिया गया था लेकिन वो अश्विन जोशी से हार गए। बड़े भैया के भतीजे गोलू शुक्ला भाजपा के पार्षद रहे हैं और अब विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 से विधायक हैं। संजय शुक्ला के भाजपा में आने से अब बड़े भैया का पूरा परिवार एक ही राजनीतिक छत के नीचे आ गया है। विष्णु प्रसाद शुक्ला की गिनती इंदौर में भाजपा संगठन को खड़ा करने वाले पुराने नेताओं में होती है। शुक्ला परिवार से पहले विष्णुप्रसाद शुक्ला और फिर उनके बेटे और संजय के भाई राजेंद्र शुक्ला भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
दोनों ही भाजपा के उम्मीदवार थे, लेकिन पराजित हुए और विधायक नहीं बन सके। संजय शुक्ला पहले पार्षद बने और फिर कांग्रेस से विधायक बनकर शुक्ला परिवार में विधायक नहीं बनने का मिथक भी तोड़ दिया। अब पार्टी बदलने के साथ ही पूरा कुनबा भगवा हो गया है।संजय शुक्ला पहले संघ और भाजपा से जुड़े रहे हैं। हालांकि दिग्विजय सिंह सरकार के कार्यकाल में 90 के दशक में संजय शुक्ला ने कांग्रेस ज्वाइन करने का फैसला लिया था। वे सुदामा नगर वार्ड से कांग्रेस के पार्षद चुने भी गए थे। संजय वैसे तो कांग्रेस के पार्षद रहे, लेकिन वर्ष 2004 में जब भाजपा ने उनके बड़े भाई राजेंद्र शुक्ला को टिकट दिया था।
उस समय मतदान के चार दिन पहले संजय ने खुलकर भाजपा का काम चुनाव में किया। तब राजेंद्र के सामने चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व विधायक अश्विन जोशी ने प्रमाण सहित उनकी शिकायत कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों से की थी। हालांकि संजय शुक्ला कांग्रेस में बने रहे। इसके बाद वे लंबे समय तक सक्रिय नहीं दिखे।2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने संजय को क्षेत्र एक से उम्मीदवार घोषित कर दिया। संजय चुनाव लड़े और विधायक भी बन गए। 16 महीनों में सरकार गिरी तो सिंधिया के साथ संजय के भाजपा में जाने की अफवाहें चली। सुरेश पचौरी को संजय का कांग्रेस मं राजनीतिक गुरु माना जाता रहा है। हालांकि न तो पचौरी ने कांग्रेस छोड़ी और ना ही संजय शुक्ला ने। इसके बाद कांग्रेस ने महापौर चुनाव के दौरान भी संजय पर ही भरोसा जताया और उन्हें उम्मीदवार बनाया। हालांकि संजय सक्रिय राजनीति के नए नाम भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव से सवा लाख से ज्यादा वोटो से हार गए।
देपालपुर से विशाल पटेल भी भाजपा में
संजय शुक्ला के भाजपा में जाने के बाद इंदौर के राजनीतिक समीकरण भी बदल गए हैं। संजय शुक्ला के साथ देपालपुर क्षेत्र से पूर्व विधायक विशाल पटेल भी भाजपा में गए हैं।शुक्ला को तो साढ़े तीन साल पहले भी भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव मिला था, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। हालांकि तब शुक्ला नहीं गए, लेकिन अपने राजनीतिक गुरु सुरेश पचौरी के साथ वे अब भाजपा में शामिल हो गए।विशाल पटेल पहले कमल नाथ के करीबी माने जाते थे। बीते दिनों नाथ के भाजपा में जाने की खबरें चली तब पटेल को पार्टी बदलने का इंतजार था। नाथ तो कांग्रेस में ही रहे। अब जब शुक्ला ने पार्टी छोड़ी तो शुक्ला और सुरेश पचौरी के सहारे पटेल भी भाजपा में चले गए हैं। विशाल के पिता जगदीश पटेल भी देपालपुर के कांग्रेस विधायक रह चुके हैं।
घर वापसी हुईः गोलू शुक्ला
विधायक गोलू शुक्ला ने कहा कि कंधे से कंधा मिलाकर दोनों भाई पार्टी की सेवा करेंगे. खुशी की बात है बड़े भाई आ गए हैं. घर में कांग्रेस और बीजेपी का कोई विषय ही नहीं रहा है. बीजेपी और मोदी से प्रेरित होकर पार्टी ज्वाइन की है. बीस साल पहले भी पार्टी के सदस्य थे, वे फिर से लौट आए हैं. घर वापसी हुई है. पहले से बातचीत चल रही थी. देर आए दुरूस्त आए. आ गए परिवार में. बाबूजी पार्टी के फाउण्डर मेंबर है.