जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शिक्षा केन्द्र को आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं को संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 में नियुक्ति देने नए सिरे से विचार करें। जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने गुरुजी के रूप में एक साल लगातार काम करने व मानदेय प्राप्त करने की शर्त को विलोपित करने के आदेश जारी किये है। एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि उक्त शर्त को सुप्रीम कोर्ट पूर्व में निरस्त कर चुका है।
सीहोर निवासी गोविंद तंवर सहित छिंदवाड़ा, सिवनी, राजगढ, दमोह, पन्ना, सागर, छतरपुर व अन्य जिलों के 150 से अधिक शिक्षकों की तरफ से उक्त याचिका दायर की गयी थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील दी गयी कि उन्होने गुरुजी एवं अनुदेशक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है। नियमानुसार परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले को संविदा शिक्षक वर्ग-3 के पद पर नियुक्ति देना था। राज्य शासन ने 23 मार्च 2018 के उस परिपत्र का हवाला देकर नियुक्ति देने से इनकार कर दिया, जिसमें इस पद के लिए एक वर्ष लगातार (1999-2000) गुरुजी के रूप में काम किया हो और मानदेय प्राप्त किया हो। सर्वोच्च न्यायालय उक्त परिपत्र को निरस्त कर चुका है, इसके बावजूद शासन नियुक्ति से इनकार कर रही है।
याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता सुधा गौतम ने पैरवी की।