कैट ने की अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

नयी दिल्ली 15 सितंबर (वार्ता) खुदरा कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से प्रतिस्पर्धा-विरोधी कानून का उल्लंघन करने के मामले में ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने रविवार को इस संंबंध में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच रिपोर्ट को वैश्विक नियामक इतिहास में एक ऐतिहासिक मामला बताया है क्योंकि फ्लिपकार्ट और अमेज़न को खुलेआम प्रतिस्पर्धा-विरोधी कानूनों का उल्लंघन करते पाया गया है। उन्होंने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप और घरेलू खुदरा व्यापारियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई की मांग की है।

श्री खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत लागू करने और एक व्यापक ई-कॉमर्स नीति की शुरूआत की मांग की है। उन्होंने सीसीआई रिपोर्ट में नामित ब्रांडों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई और अमेजन, फ्लिपकार्ट और उनके साथ मिलीभगत करने वाले ब्रांडों के व्यापार को निलंबित करने की भी मांग की है। उन्होंने सीसीआई को सभी अपराधियों के खिलाफ कानून के तहत तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश देने का अनुरोध किया है। उन्होंने अमेजन तथा फ़्लिपकर्ट के आगामी “त्योहारी बिक्री” को निलंबित करने का आग्रह किया है, क्योंकि इससे घरेलू व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा-विरोधी तरीकों के उपयोग से और अधिक नुकसान होगा।

कैट के महामंत्री ने कहा कि फ्लिपकार्ट और अमेजन द्वारा अपनाई गई प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं तरीकों ने घरेलू व्यापारियों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है और बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा की स्थिति पैदा की है। इन निष्कर्षों से यह साबित होता है कि इन कंपनियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घरेलू व्यापार को सशक्त बनाने के विजन को कमजोर किया है।

श्री खंडेलवाल ने कहा कि सीसीआई की रिपोर्ट में फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड (प्लेटफ़ॉर्म ऑपरेटर), फ्लिपकार्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (थोक इकाई), इंस्टाकार्ट प्राइवेट लिमिटेड (लॉजिस्टिक्स इकाई), 31 विक्रेताओं और शाओमी, सैमसंग, रियलमी, मोटोरोला एवं वीवो सहित छह मोबाइल निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन करने के लिए दोषी पाया गया है। इस रिपोर्ट में वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी और इसके कारण भारतीय खुदरा बाजार में प्राप्त प्रभुत्व की भी जांच की गई, जिससे यह भी स्पष्ट हुआ कि कैसे उनकी व्यावसायिक रणनीतियों ने भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति को दरकिनार किया।

इसी तरह, सीसीआई के निष्कर्षों ने अमेज़न सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (प्लेटफ़ॉर्म इकाई), अमेज़न होलसेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (थोक इकाई), और उनके प्रॉक्सी विक्रेता क्लाउडटेल और एपारियो को भी दोषी पाया है। शाओमी, सैमसंग और वनप्लस जैसे मोबाइल निर्माताओं को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। एफडीआई नीति के उल्लंघन के साथ ही अमेजन के बाजार प्रभुत्व को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं।

श्री खंडेलवाल ने मुख्य चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड और अमेजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की गतिविधियों ने प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाया है और उनके प्लेटफाॅर्मों पर तीसरे पक्ष के विक्रेताओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। दोनों ई-कॉमर्स दिग्गज पसंदीदा विक्रेताओं के साथ गठजोड़ करते हैं, जिससे अन्य विक्रेताओं को नुकसान होता है। ये प्लेटफ़ॉर्म गैर-तटस्थ बाज़ार बन गए हैं, जो चुनिंदा विक्रेताओं का पक्ष लेते हैं और लाखों अन्य विक्रेताओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इन कंपनियों ने शाओमी, रियलमी, सैमसंग, मोटोरोला, वीवो और वनप्लस जैसे ब्रांडों के साथ विशेष संबंध स्थापित किए हैं, जिससे कई विक्रेता इन उत्पादों को बेचने से वंचित रह जाते हैं और प्रतिस्पर्धा घटती है। पसंदीदा विक्रेताओं को अधिक प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाता है, जिससे उन्हें अन्य विक्रेताओं की तुलना में अनुचित लाभ मिलता है।

कैट महामंत्री ने आरोप लगाया कि विदेशी वित्त पोषण के कारण फ्लिपकार्ट और अमेजन भारी छूट पर उत्पादों की पेशकश कर रहे हैं, खासकर प्रमुख बिक्री कार्यक्रमों के दौरान, जिससे छोटे विक्रेताओं को नुकसान हो रहा है और बाजार में एकाधिकार स्थापित हो रहा है। इन रणनीतियों का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा को खत्म करना है, जिससे अंततः उपभोक्ताओं के पास कम विकल्प रहेंगे और लंबे समय में कीमतें बढ़ेंगी। यह महत्वपूर्ण है कि ये प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाएं केवल स्मार्टफोन तक सीमित नहीं हैं बल्कि विभिन्न उत्पाद श्रेणियों में फैली हुई हैं, जिससे लाखों विक्रेता केवल आंकड़ों में सिमट कर रह गए हैं जबकि इसका लाभ केवल कुछ चुनिंदा विक्रेताओं को हो रहा है।

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