वैष्णवाचार्य प. पू. गो.108 श्री गोवर्धनेश महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि पवित्रा बारस पुष्टिमार्ग की स्थापना का दिवस है। गुरु को पवित्रा धरने, श्रीनाथजी के सेवा क्रम एवं पवित्रा बारस वार्ता प्रसंग को श्रवण कराते हुए पूज्यश्री ने कहा कि पवित्रा एकादशी की रात्रि को जब श्रीमहाप्रभुजी और ठाकुरजी के मध्य दिव्य संवाद चल रहे थे, तब वहीं नजदीक पर दामोदरदास हरसानी लेटे थे, वे इस संवाद को सुन रहे थे जब संवाद पश्चात ठाकुरजी अंतर्ध्यान हुए तब श्रीवल्लभ ने हरसानी जी से पूछा के “दमला कछु सुनियो …? ” तब हरसानीजी विस्तार में जानने के हेतु एवं गुरु की महिमा के उदाहरण के लिए बोले – सुनियो तो सही पर समझ्यो नहीं।
यहां सीखने योग्य भाव यह है की सेवक कभी गुरु से बड़ा नहीं हो सकता और प्रभु के साथ जुड़े गूढ भाव हमे केवल और केवल गुरु के सानिध्य मे ही सीखने को मिल सकते है। तब महाप्रभुजी ने विस्तार से जानकारी दी और दूसरे दिन श्रावण सूद बारस को महाप्रभुजी ने दामोदर दासजी को यमुनाजी मे स्नान करने की आज्ञा दी | जब दामोदरदासजी स्नान करके आए फिर श्री महाप्रभुजी सर्व प्रथम ब्रम्हसंबंध दामोदर दास जी को दिया। हरसानिजी सर्व प्रथम पुष्टिमार्गीय वैष्णव बने।
दासजी मुखिया एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भागवतआचार्य सतीश शास्त्री विशेष रूप से उपस्थित थे। अध्यक्ष कृष्ण कुमार गोयल, महामंत्री मोहन दास अग्रवाल, कार्यकारी अध्यक्ष कुम्भन अग्रवाल, कोषाध्यक्ष मुरली मनोहर अग्रवाल उपाध्यक्ष हरिश्याम अग्रवाल की उपस्थिति रही।