जबलपुर। वर्ष 2013 में हुए व्यापम पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधडी करने वाले आरोपी की जबलपुर जिला कोर्ट से अग्रिम जमानत निरस्त करते हुए पुलिस को निर्देश दिए है कि जल्द से जल्द गिरफ्तारी की जाए। करीब 11 साल पुराने केस में सुनवाई करते हुए द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सुनील मालवीय को कोर्ट ने परीक्षा में फर्जीवाड़ा को गंभीर अपराध माना और आरोपी की अग्रिम जमानत निरस्त कर दी। आरोपी संतोष मीणा को पुलिस थाना एस.टी.एफ. के अपराध क्र. 22/2024, अंतर्गत धारा 420, 419, 467, 468, 471, 120-बी भादस के आरोप में अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त किया गया है।
वर्ष 2013 में व्यापम द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में आरोपी संतोष मीणा के द्वारा अपने स्थान पर अन्य व्यक्ति को सॉल्वर के रूप में बैठाकर परीक्षा दिलवाई गई थी। संतोष ने परीक्षा देने वाले को बकायदा पैसे भी दिए थे। परीक्षा परिणाम आए तो संतोष पास हो गया, जिसके बाद वह 2014 से पुलिस आरक्षक के रूप में पुलिस विभाग में नौकरी करने लगा, वर्तमान में आरोपी संतोष मीणा थाना नईगडी रीवा में पदस्थ है।
व्यापम पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा फर्जीवाड़ा मामले में संतोष का नाम सामने आने के बाद जब जांच की तो उसे आरोपी माना गया। थाना एस.टी.एफ. भोपाल में अपराध क्रमांक 22/2024 अंतर्गत धारा 420, 419, 467, 468, 471, 120-बी भादस का अपराध दर्ज कर एस.टी.एफ. इकाई जबलपुर के पुलिस अधिकारी गणेश सिंह ठाकुर द्वारा विवेचना की जा रही है। आज 8 अगस्त को अभियुक्त संतोष ने गिरफ्तारी पूर्व अग्रिम जमानत आवेदन लगाया था, जिस पर सुनवाई विशेष न्यायालय एस.टी.एफ. सुनील मालवीय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश जबलपुर द्वारा की गई। न्यायालय ने विशेष लोक अभियोजक अभिषेक दीक्षित के तर्क से सहमत होते हुए अभियुक्त संतोष मीणा की अग्रिम जमानत का आवेदन निरस्त कर दिया है।