इंदौर: बढ़ते शहर में आसपास के अलावा दूर परदेश के लोग भी यहां आकर अपना रोजगार चला रहे हैं. वहीं कई ऐसे है जो भिक्षुक बन कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं क्योंकि इनके पास रोजगार नहीं है या फिर इन्हें कोई काम नहीं दे रहा.शहर में बढ़ते भिक्षुओं की तादाद बढ़ती जा रही है. मंदिर, मस्जिद, दरगाह के बाहर सैकड़ों भिक्षुओं की कतारे देखने को मिलती है. वहीं यातायात सिग्नल पर तो यह है कि भीख मांगने वाले गले ही पड़ जाते है जिसके कारण कई बार वाहन चालक को असुविधाओं से गुज़रना पड़ता है.
इन पर अंकुश लगाने और शहर को भिक्षुक मुक्त करने की पहले की गई है. कलेक्टर अशीष सिंह के निर्देश पर भिक्षुओं पर पाबंदी लगाते हुए इन्हें शहर से खदेड़ा जा रहा है. यह भी ऐलान हुआ है कि जो कोई भी भीख मांगने वालों की जानकारी देगा उसे नगदी इनाम दिया जाएगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही. भीख मांग रहे लोगों की जानकारी कुछ लोगों ने दी जिस पर उन्हें इमान दिया गया. यह अच्छी बात है कि जिस शहर की चर्चा देश विदेश में हो रही हो वह भिक्षुक रहित होना चाहिए.
लेकिन जब दूसरे पहलू पर ग़ौर किया जाए तो विभिन्न कहानियों से सामना होता है. बात भीख मांगने की नहीं, बात है रोज़गार की. यह बात अलग है कि कुछ लोग मेहनत नहीं करना चाहते लेकिन उनके विचारों को बदलने की ज़रूरत है. देखने में यह आया है कि महिलाएं जो अनपढ़ है उनके घर में कोई कमाने वाला नहीं है. छोटे बच्चों के पालन में कई परेशानियां आ रही है. वहीं बुज़ुर्ग ऐसे भी है जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है वहां असहाय और लाचार हैं. कुछ युवाओं की माने तो उन्हें कोई काम देने को राज़ी नहीं है. बच्चों को पालने के लिए भीख मांगने को मज़बूर है. अब बड़ा सवाल यह है कि इन मसलों पर कौन कार्य करेगा ताकि इनकी पीड़ा और समस्या को खत्म किया जा सके.
इनका कहना है…
समस्या जटिल है. भिक्षुक मुक्त शहर भी बनाना है लेकिन इनकी समस्या को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. इसे गंभीरता से लिया जाए ताकि इनका भविष्य सुरक्षित रहे.
– बंटी जरवाल
ऐसा कोई भी नगरिक नहीं होगा जिसके मन में इनको देख कर दया न आती हो. अगर यहां पहल हो रही है तो यहां उज्जवल देश की शुरूवात है.
– आदर्श गुप्ता
यह सही है कि शहर भिक्षुक रहित होना चाहिए. इससे बच्चों के जीवन में जो अंधकार छाया है दूर हो सके लेकिन इनकी शिक्षा और खर्च पर ध्यान देना होगा.
– बबलू शर्मा