जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस संजय यादव की एकलपीठ ने मामले में मानव संसाधन मंत्रालय के सचिव व नेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के सचिव को जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही एकलपीठ ने मामले में प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में वोकेशनल ट्रेनर की नियुक्ति पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है। एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को निर्धारित की है।
यह मामले सागर निवासी गोविंद प्रसाद सेन सहित प्रदेश भर सैकड़ों संविदा वोकेशनल ट्रेनर की ओर से दायर किये गये हैं। जिसमें कहा गया है कि कि विगत 2 जुलाई को व्यावसायिक प्रशिक्षण की नियुक्ति के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था। आवेदकों की ओर से कहा गया कि पूर्व से इस पद पर कार्य कर रहे प्रशिक्षकों को हटाकर नए सिरे से वोकेशनल ट्रेनर की नियुक्ति की जा रही है, जोकि अनुचित है। याचिकाकर्ता पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से काम कर रहे हैं। इस विज्ञापन के चलते कार्यरत ट्रेनर को भी नए सिरे से पूरी प्रक्रिया यानी परीक्षा व साक्षात्कार से गुजरना पड़ेगा।
इतना ही नहीं वर्ष 2021 में भी इस तरह की याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसमें अंडरटेकिंग दी गई थी कि याचिकाकर्ताओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाताओं के माध्यम से नई चयन प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदकों की ओर से कहा गया कि उनका चयन परीक्षा देने के बाद ही हुआ है और अब तो वे अनुभवी भी हो गये हैं। तर्क दिया गया कि नए विज्ञापन में वही योग्यताएं मांगी गई हैं, जो याचिकाकर्ताओं के पास पहले से हैं। नये आवेदन आमंत्रित करके याचिकाकर्ताओं को नए उम्मीदवारों से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि उम्मीदवारों की योग्यता सुनिश्चित करने के लिए एक बार जांच होनी चाहिए और जांच में संतुष्ट होने के बाद याचिका कर्ताओं को जारी रखने की अनुमति दी जायेगी। ऐसे में उन्हें नई चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिये। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।