विश्व कीर्तिमान के बाद पौधों की देख रेख भी जरूरी

इंदौर को बधाई कि यहां की जनता ने जिद करके पौधारोपण का विश्व कीर्तिमान बनाकर बताया.अब सबसे बड़ी चुनौती इन पौधों को पेड़ों में बदलने की होगी. कहा जाता है कि पेड़ लगाना आसान है लेकिन उसे बड़ा करना किसी बच्चे को बड़े करने जैसा है. जाहिर है असली चुनौती तो अब आने वाली है.दरअसल,इंदौर ने रविवार को एक नया इतिहास लिख दिया. महाअभियान एक पेड़ मां के नाम के तहत यहां की जनता व जनप्रतिनिधियों ने 12 घंटे में 11 लाख पौधे रोपने का संकल्प लिया था, जिसे तय समय से पहले साढ़े नौ घंटे में ही पूरा कर लिया गया.इंदौर की रेवती रेंज पहाडिय़ों पर सुबह 7 बजे से शुरू हुआ पौधारोपण का सिलसिला शाम 7 बजे तक चला.लक्ष्य शाम 7 बजे तक 11 लाख पौधे रोपने का था, लेकिन शाम 4.30 बजे तक पौधारोपण का आंकड़ा 12 लाख से ऊपर पहुंच चुका था.इसके बाद भी पौधारोपण जारी रहा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इसमें शामिल हुए और अपनी मां कुसुम शाह के नाम पीपल का पौधा रोपा.एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में पौधारोपण कर इंदौर ने असम का एक दिन में 9 लाख 26 हजार पौधे रोपने का रिकॉर्ड तोडक़र नया रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम के 300 से अधिक सदस्य पौधारोपण स्थलों पर मौजूद रहे और डिजिटल रिकॉर्ड बनाते रहे.

देर शाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और महापौर पुष्यमित्र भार्गव को इंदौर की इस उपलब्धि का प्रमाण पत्र प्रदान किया. इंदौर के इस अभियान से पूरे प्रदेश को प्रेरणा मिलेगी. इस अभियान के कारण इंदौर में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में निश्चित रूप से मदद मिली है. दरअसल, हमारे शहर कंक्रीट का जंगल बनते जा रहे हैं. कड़वी हकीकत यह है कि इस शहरीकरण को रोका नहीं जा सकता. इसका कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ती जा रही है उसका सारा बोझ शहरों पर पड़ रहा है. जाहिर है हरियाली कम होने का नतीजा हम बढ़ते तापमान के रूप में भुगत रहे हैं. इंदौर स्वच्छता में अव्वल है. साक्षरता का प्रतिशत भी यहां पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा है. ऐसे में इंदौर ने एक अच्छी नजीर पेश की है. बहरहाल,विशेषज्ञ मानते हैं कि पेड़ उच्च मूल्य वाली संपत्ति हैं.पेड़ ऑक्सीजन प्रदान करके, वायु की गुणवत्ता में सुधार करके, जलवायु सुधार करके, जल संरक्षण करके, मिट्टी को संरक्षित करके और वन्य जीवन का समर्थन करके पर्यावरण में सीधे योगदान देते हैं. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान, पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हमारे द्वारा सांस ली जाने वाली ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं. एक रिसर्च के अनुसार एक एकड़ जंगल छह टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और चार टन ऑक्सीजन छोड़ता है. रिसर्च यह भी कहता है कि दुनिया के 70 प्रतिशत जानवर और पौधे जंगलों में रहते हैं. जाहिर है दुनिया की जैव विविधता के लिए पेड़ों का होना जरूरी है. इसलिए केवल पौधारोपण करना और उसे पेड़ों में परिवर्तित करना ही जरूरी नहीं है, बल्कि जो पेड़ अस्तित्व में हैं,उनका संरक्षण भी जरूरी है. सरकार को वनों में चल रही अवैध कटाई की तरफ भी ध्यान देना चाहिए. इसी तरह कॉलोनाइजर और भूमाफिया जिस तरह से खेतों और पेड़ों को नष्ट करके कॉलोनी काटते हैं उस पर भी रोक लगनी चाहिए. जब तक भू माफिया और वन माफिया पर नकेल नहीं कसी जाएगी, तब तक इस तरह के अभियानों से सार्थक परिणाम नहीं मिल सकते. दरअसल, पर्यावरण के संबंध में जो जागरूकता होनी चाहिए वह अभी भी हमारे यहां नहीं है. जबकि परंपरा से हम प्रकृति के उपासक हैं. सनातन परंपरा मानती है कि वृक्ष में भी जीव होता है. जाहिर है पर्यावरण संरक्षण के लिए न केवल पौधारोपण जरूरी है बल्कि इसी तरह वर्षा का जल सहेजने के लिए भी बड़े अभियान की आवश्यकता है. मानसून ने दस्तक दे दी है. हर बार की तरह इस बार भी घोषणाएं तो बहुत हुई हैं,लेकिन जल सहजने या जल प्रबंधन के लिए जो उपाय होने चाहिए वैसे नहीं हुए हैं. कुल मिलाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता के प्रयास निरंतर करने चाहिए. इस श्रृंखला में इंदौर ने जो कीर्तिमान बनाया उसका स्वाभाविक रूप से स्वागत किया जाना चाहिए.

Next Post

ओडिशा, असम और झारखंड की लड़कियों को मिली जीत

Tue Jul 16 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email कोलकाता, (वार्ता) दूसरी हॉकी इंडिया जूनियर पुरुष और महिला ईस्ट जोन चैंपियनशिप 2024 के दूसरे दिन सोमवार को हॉकी एसोसिएशन ऑफ ओडिशा, असम हॉकी और हॉकी झारखंड ने महिला वर्ग में जीत दर्ज की जबकि पुरुष वर्ग […]

You May Like