पूर्व में जारी किया टेंडर निरस्त, नया बुलवाया
पुराने ठेकेदार ने हाथ किए ऊंचे, दो लाख पौधे है लगाना
इंदौर: पौधारोपण को लेकर आईडीए अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच शह-मात का खेल चल रहा है. इस कारण आईडीए ने पूर्व में जारी टेंडर निरस्त कर दिया. अब नए सिरे से टेंडर बुलाया है, जिसमें नई शर्ते भी लगाई है. खास बात यह है कि पुराना टेंडर लेने वाले ठेकेदार ने हाथ ऊंचे कर दिए. वहीं कई स्कीमों में किसानों ने फसल बुवाई कर दी है.
शहर में हरियाली के लिए पौधारोपण करने का अभियान चल रहा है. इस अभियान में आईडीए ने भी दो लाख पौधे लगाने की जिम्मेदारी ली है. आईडीए ने पिछले दिनों टेंडर बुलाए थे, लेकिन टेंडर लेने वाले देवास के ठेकेदार ने मना कर दिया. इसके बाद आईडीए अधिकारियों ने फिर से टेंडर बुलवाए है. उसमें कुछ शर्ते जोड़ी है जो पहले नहीं थी. आईडीए को दो लाख पौधे लगाने की लागत करीब 7 करोड़ रुपए आएगी. आईडीए करीब 19 स्थानों पर पौधारोपण करेगा. सबसे ज्यादा टीपीएस 5 के बगीचों में मियामाकी पद्धति से सिटी फारेस्ट जैसे बगीचे विकसित होंगे.
मामला इस प्रकार है.
आईडीए अधिकारियों ने हमेशा काम करने वाले ठेकेदारों से बातचीत की. समय सात दिन का बताया और लेबर ज्यादा लगाने की चर्चा की. टेंडर जारी हो गए. टेंडर में आईडीए का काम करने वाले ठेकेदारों ने 14-15प्रतिशत कम के टेंडर भरे. देवास की एस के इंटरप्राइजेस ने 28 प्रतिशत कम का टेंडर डाल दिया. सभी जगहों के टेंडर का काम उसको मिल गया. इससे आईडीए के ठेकेदार जो हमेशा काम करते है, नाराज हो गए. सभी ठेकेदारों ने टेंडर में धांधली होने का आरोप लगाकर आर्थिक अपराध और लोकायुक्त में आवेदन दे दिया. विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी शिकायत की. मंत्री ने नाराजगी जताई. इसी बीच देवास वाले ठेकेदार ने कहा कि सात दिन में दो लाख पौधे लगाने के लिए मेरे पास इतनी क्षमता नहीं है और मना कर दिया. आईडीए ने देवास वाले ठेकेदार को तीन साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया. फिर नए सिरे से टेंडर जारी किए है.
यहां कैसे लगेंगे पौधे.
आईडीए ने अपनी स्कीमों में पौधारोपण का बीड़ा उठाया है. इसमें टीपीएस 1, 3 ,5 और स्कीम 97 पार्ट 4 में किसानों ने फसल बुवाई कर दी है. टीपीएस 1 में मक्का , 3 और 5 में सोयाबीन की बुवाई कर दी है. 97 पार्ट 4 में किसानों और प्लाट धारकों का विवाद है. आईडीए यहां सिटी फारेस्ट विकसित करना चाहता है.
1 लाख 65 हजार सिर्फ मियावाकी पद्धति से
आईडीए अपनी विभिन्न योजनाओं में दो लाख पौधे में से 1 लाख 65 हजार पौधे मियावाकी पद्धति से लगाएं जाएंगे. बाकी 35 हजार पौधे मैदानों और सड़कों के पास लगाए जाएंगे.
अभी पौधों के लिए गड्डे भी नहीं
आईडीए और ठेकेदारों के विवाद में पौधे लगाने के लिए गड्डे भी नहीं खोदे गए है. ठेकेदारों को वन विभाग की बड़गौंदा नर्सरी से पौधे लाकर स्वयं लगाना है. एक महीने बाद मियामाकी पद्धति का 40 प्रतिशत पेमेंट होगा.
नए टेंडर नई शर्ते.
आईडीए ने नए टेंडर में कुछ नई शर्ते जोड़ दी है. 20 प्रतिशत वाले ठेकेदार ने तीन-तीन, 30 प्रतिशत वाले ने दो-दो और 50 प्रतिशत काम करने वाले ठेकेदार ने एक काम किया हो. 18 महीने तक पौधों की देखभाल ठेकेदार को करना है. कोई पौधा मरता है तो ठेकेदार को उसका खर्च वहन कर नया पौधा लगाना है. नए पौधे की जिम्मेदारी भी ठेकेदार की रहेगी. सभी को वर्क ऑर्डर के बाद 7 दिन में पौधारोपण करना है