एक बुजुर्ग जिनका जीवन मिसाल बन गया

बारह आपरेशन के बाद पैर पूरी तरह तो नहीं सुधरा,लेकिन हौसला नहीं छोड़ा

 

नवभारत न्यूज

खंडवा। शहर के एक बुजुर्ग का जीवन मिसाल बन गया है। स्वभाव से जिद्दी भी हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी जो ठान लें, वह करके रहते हैं। तीन बार उन्होंने कडक़ उपवास लंबे समय तक किए। एक दुर्घटना में पैर टूटकर अलग हो गया, तो लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। टूटा पैर उठाकर अस्पताल ले आए। बारह आपरेशन के बाद पैर पूरी तरह तो नहीं सुधरा,लेकिन हौसला नहीं छोड़ा। पेशे से शिक्षक थे,लेकिन कानून के जानकार होने के कारण उन्होंने प्रदेश के शिक्षकों के कई रास्ते आसान किए।

जीएम पाराशर नाम के 73 वर्षीय सेेवानिवृत्त शिक्षक का जीवन इसी बात से समझ आता है कि वे दो बार तीन-तीन साल के लगातार उपवास कर चुके हैं। वे बताते हैं कि उनके शरीर में अल्सर बस्ट हो गया। डाक्टरों ने गंभीर बताया। उन्होंने खुद ही केला और दूध पर तीन साल बिता दिए। एलोपैथी की दवाओं को जरूरत पडऩे पर ही लेते हैं।

दोस्ती निभाना इनसे सीखें

उनका कहना है कि शरीर में फैट न जमने दें। जीवनचक्र सही चलेगा। परोपकार से बड़ा काम कोई नहीं होता। दोस्ती की मिसाल भी गजब की है। जिसके साथ हो लिए, उसका साथ कभी नहीं छोड़ा। पूर्व शिक्षामंत्री स्व. किशोरीलाल वर्मा से घनिष्टता के कारण नौकरी में भी कई उतार चढ़ाव देखे। श्री वर्मा को मंत्रीपद नहीं मिला। जीएम पाराशर ने उसी वक्त ठान लिया कि अगली बार मंत्री बनने तक वे अन्न नहीं लेंगे। केवल फलीदाने और गुड़ पर उन्होंने तीन साल निकाल दिए। स्व. किशोरीलाल के निधन के बाद बुजुर्ग नेता स्व. वीरसिंह हिंडौन ने कहा कि तुम्हारे मित्र चले गए। अब भोजन शुरू कर दो।

दादाजी के बड़े भक्त

अब,वे बुजुर्ग होने के कारण कई चीजें त्याग चुके हैं। जनवरी 24 से वे सब्जियों, ड्रायफ्रूट श्री अन्न यानि ज्वार-बाजरा भी लिमिट में ले रहे हैं। उनका मानना है कि जीवन पर्यंत वे इसका पालन करेंगे। दादाजी के बड़े भक्त भी हैं। जीवनचर्या भी अलग ही है। रात में दो बजे उठकर स्नान के बाद साधना करते हैं। सुबह 4 बजे दादा दरबार पहुंच जाते हैं। वहां सेवा के बाद सुबह 7 बजे लौटते हैं। दिन में विकलांगों के हक,शिक्षकों की समस्याओं और अन्य मुद्दों पर जरूरतमंदों की मदद करते हैं।

73 के बुजुर्ग या युवा

श्री पाराशर के सिद्धांत भी अनोखे हैं। उनका कहना है कि इंद्रियों को वश मेें करना जरूरी है। जबान पर कंट्रोल हो तो बीमारी नहीं होगी। स्वाद को काबू में रखना जरूरी है। युवा भी यदि भोजन करें,तो पूरी थाली की सामग्री को एकसाथ मिलाकर भोजन करना चाहिए। वे दुर्घटना में एक पैर गंवाने और 73 साल की उम्र के बावजूद चौबीसों घंटे किसी युवा की तरह फिट-फाट रहते हैं।

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