रात में तेज खर्राटे और दिन में ज्यादा नींद आती है तो हो सकता है स्लीप एपनिया

*वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. उज्जवल शर्मा ने किया आगाह – बीपी, थायराइड, शुगर, हार्ट अटैक व लकवा का बढ़ सकता है खतरा, इसलिए अनुभवी विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी*

ग्वालियर। अगर आप पूरी रात सोने के बाद भी दिन में थका हुआ महसूस करते हैं, अत्यधिक नींद आती है और रात में सोते समय तेज खर्राटे लेते हैं, तो आपको स्लीप एपनिया हो सकता है। शॉर्ट नैक यानि छोटी गर्दन भी इस बीमारी का बड़ा लक्षण है। स्लीप एपनिया एक गंभीर नींद संबंधी विकार है जिसमें सांस बार-बार रुकती और शुरू होती है। दरअसल, ऑक्सीजन का लेबल शरीर में कम हो जाता है, जिसके कारण लोगों को राहत भरी सांस नहीं मिलती।

डॉक्टर्स डे की पूर्व संध्या पर वरिष्ठ टीबी एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. उज्जवल शर्मा ने सामान्य वर्ग में अनपहचानी लेकिन नजरंदाज करने पर जानलेवा बन जाने वाली बीमारी स्लीप एपनिया (ओएसए) के लक्षणों, कारणों एवं निदान के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि स्लीप एपनिया (ओएसए) तब होता है जब गले की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं और फेफड़ों में हवा का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। अगर लगता है कि आपको स्लीप एपनिया के लक्षण है, तो तत्काल अनुभवी चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लेकर उपचार प्रारंभ करना होगा। वजह यह कि यदि इस बीमारी पर कन्ट्रोल नहीं पाया जाता है तो आप मोटापे के शिकार हो जाएंगे। बीपी, थायराइड, शुगर, हार्ट अटैक व लकवा का खतरा बढ़ जाएगा। तत्काल उपचार मरीज के लक्षणों को कम कर सकता है और हृदय संबंधी समस्याओं और अन्य जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है।

डॉ. उज्जवल शर्मा कहते हैं कि जोर से खर्राटे लेना संभावित रूप से गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है, लेकिन स्लीप एपनिया से पीड़ित हर व्यक्ति खर्राटे नहीं लेता। अगर आपको स्लीप एपनिया के लक्षण हैं, तो विशेषज्ञ चिकित्सक से बात करें। चिकित्सक से ऐसी किसी भी नींद संबन्धी समस्या के बारे में पूछें जो आपको थका हुआ, नींद में और चिड़चिड़ा बना देती है। स्लीप एपनिया में बार-बार जागने की वजह से सामान्य, आरामदायक नींद असंभव हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप दिन में गंभीर उनींदापन, थकान और चिड़चिड़ापन की संभावना होती है।आपको ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है और आप काम पर, टीवी देखते समय या यहां तक ​​कि गाड़ी चलाते समय भी सो सकते हैं। स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों में मोटर वाहन और कार्यस्थल दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ जाता है। आप जल्दी गुस्सा होने, मूडी या उदासी महसूस कर सकते हैं। स्लीप एपनिया से पीड़ित बच्चे और किशोर स्कूल में खराब प्रदर्शन कर सकते हैं या उनमें व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उच्च रक्तचाप या हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। रक्त ऑक्सीजन के स्तर में अचानक गिरावट से रक्तचाप बढ़ता है और हृदय प्रणाली पर दबाव पड़ता है। स्लीप एपनिया होने से उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है, जिसे हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। बार-बार दिल का दौरा, स्ट्रोक और अनियमित दिल की धड़कन, जैसे कि एट्रियल फ़िब्रिलेशन का जोखिम भी बढ़ सकता है।

 

*हर आधे मिनट में टूट रही थी ऑक्सीजन*

केस -1/ झाँसी से आए 55 वर्षीय मरीज सतीश जैन को परेशानी थी कि वे दिन में बात करते – करते सो जाते थे। कई बार मोबाइल पर बात करते करते नींद आने से मोबाइल गिर गया। रात में खर्राटे आते थे। डॉक्टर ने स्लीप स्टडी कराई तो पता चला कि इनकी एएचआई हंड्रेड से ऊपर है। यानि एक घण्टे में सौ से ज्यादा बार ऑक्सीजन कम हो रही है। कह सकते हैं कि हर आधे मिनट में ऑक्सीजन टूट रही थी। वे अब सीपेप मशीन और दवाईयों के माध्यम से आराम कर रहे हैं।

 

*स्लीप स्टडी में पता चला कि एएचआई 60 के ऊपर है…*

केस – 2/ सिटी सेंटर निवासी 52 वर्षीया महिला मधु शर्मा को अचानक ऑक्सीजन लेबल कम हुआ तो उनकी हार्ट की ईसीजी और ईको कराई गई जो नॉर्मल निकलीं। ब्लड की जांचें भी सामान्य निकलीं। जब स्लीप स्टडी कराई गई तो पता चला कि एएचआई 60 के ऊपर है, यानि एक घण्टे में साठ से अधिक बार सांस टूट रही थी। उपचार शुरू हुआ, सीपेप मशीन और दवाओं से अब उन्हें आराम है।

 

*विशेषज्ञों की राय…*

 

*अनियंत्रित वजन, फैट, दिन में बैठे रहने, एलकोहल, आनुवांशिक कारण से बीमारी संभव*

अनियंत्रित वजन, फैट, दिन में बैठे रहना, एलकोहल का सेवन, शारीरिक संरचना अर्थात आनुवांशिक कारण स्लीप एपनिया होने की वजह बन सकते हैं। धूम्रपान करने वालों में स्लीप एपनिया की संभावना उन लोगों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। यदि आपको नाक से सांस लेने में परेशानी होती है, चाहे वह शारीरिक समस्या या एलर्जी के कारण हो – तो स्लीप एपनिया होने की संभावना बढ़ जाती है।

— *डॉ. उज्ज्वल शर्मा*, वरिष्ठ टीबी एवं छाती रोग विशेषज्ञ

 

*हृदय रोगी लू से बचें, दोपहर में बाहर न निकलें*

गमर्मी के इस मौसम में हार्ट के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक गमर्मी पड़ने पर शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। शरीर को ठंडा रखने के लिए हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही अन्य अंगों और धमनियों पर भी दबाव बढ़ता है। शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है, जिससे हीट स्ट्रोक आ जाता है। अन्य लोगों की तुलना में दिल के मरीजों को इससे बीपी की शिकायत भी बढ़ जाती है और हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है। गमर्मी में ब्लडप्रेशर कम हो जाता है, इसलिए अपने डाक्टर से मिलकर दवा अर्जेस्ट करवाएं। हार्ट के मरीजों को तेज धूप में बाहर निकलने से बचना चाहिए। दोपहर 11 से 4 बजे तक बाहर बिलकुल न निकले। अगर बहुत जरूरी काम है तो सिर को ढककर और साथ में पानी की बोतल लेकर बाहर जाएं। कोशिश करें कि बहुत देर तक धूप में न रहे और जिनइलाकों में ज्यादा गमर्मी पड़ रही है, वहां भी न जाएं। खानपान का ध्यान रखें और फल व हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें। बाहर है तो ज्यादा देर तक खाली पेट न रहें। दिल के मरीजों के लिए यह भी जरूरी है कि वह अपनी दवाओं का हर हाल में सेवन करते रहें।

— *डॉ. राम रावत*, ह्दयरोग विशेषज्ञ, जयारोग्य हॉस्पीटल

 

*मच्छरजनित रोग बढ़ेंगे, घर के आसपास पानी जमा न होने दें*

बरसात का मौसम शुरू हो गया है, नतीजन मच्छरजनित रोग बढ़ेंगे। डेंगू का खतरा तो है ही। इसलिए अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दें। बच्चों को फुल कपड़े पहनाएं। टाइफाइड व पीलिया जैसी समस्याएं भी बारिश के मौसम में ही होती हैं। अत्यधिक बचाव जरूरी है। संभव हो तो पानी उबालकर ही पिएं।

— *डॉ. विनीत चतुर्वेदी*, बाल एवं शिशुरोग विशेषज्ञ, जीआरएमसी

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