नीट में धांधली को लेकर लीपापोती कर बच नहीं सकती सरकार : कांग्रेस

नयी दिल्ली, 14 जून (वार्ता) कांग्रेस ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट को लेकर सरकार को घेरते हुए आज कहा कि सच पर पर्दा डालने के लिए पूरे प्रकरण में लीपापोती की जा रही है लेकिन सवाल 24 लाख बच्चों के भविष्य का है इसलिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की देखरेख में मामले की जांच होनी चाहिए।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जो नियम मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए वर्जित किये गए हैं सरकार उन्हीं नियमों का सहारा लेकर ग्रेस मार्क्स देने की बात कर पूरे मामले में लीपापोती करने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने तंज करते हुए कहा “नाम है नीट लेकिन रिजल्ट देख कर ये प्रक्रिया कहीं से भी ‘साफ, स्वच्छ या स्वस्थ’ नहीं लगती। इस परीक्षा के माध्यम से देश के 24 लाख बच्चों के भविष्य पर पानी फेर दिया गया है। पिछले 8 साल में 7 ऐसे छात्र थे जो पूरे अंक लाए लेकिन इस साल 67 छात्र पूरे अंक लेकर आए। इस पर शिक्षा मंत्री का कोई जवाब नहीं है। जब बिहार में पुलिस ने पेपर लीक के मामले में कुछ लोगों को पकड़ा और गुजरात के गोधरा में भी ऐसा मामला निकला, तब ये घोटाला सामने आया।”

प्रवक्ता ने कहा “नेशनल टेस्टिंग एजेंसी- एनटीए ने कोर्ट में लीपापोती की पूरी कोशिश करते कहा कि हमने टाइम लॉस की वजह से 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिये और उच्चतम न्यायालय के एक फैसले को कोट किया। शीर्ष न्यायालय के फैसले को कोट करते हुए एनटीए ने कहा कि अगर बच्चों को टाइम लॉस होता है तो कैलकुलेट करके उन्हें ग्रेस मार्क दिया जाता है जबकि उसी फैसले में स्पष्ट लिखा है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल इस कैटेगरी में नहीं आते। उन्हें टाइम लॉस पर ग्रेस मार्क नहीं दे सकते। अब सोचिए कि यह सरकार किस स्तर पर गिरकर लीपापोती कर सकती है।”

उन्होंने कहा “580 से ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों के परीक्षा केंद्रों के नाम जारी किए जाएं और 12वीं के बोर्ड के मार्क्स का मिलान नीट के टॉपर्स के साथ किया जाए। जिन एग्जाम सेंटर पर औसत से ज्यादा हाई मार्क्स वाले परीक्षार्थी हैं, उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी जारी की जाए। उन तमाम बच्चों की सूची जारी हो जिन्होनें विंडो का लाभ उठाते हुए अपने एग्जाम सेंटर्स बदले। दुर्भाग्य यह भी है कि आज रेल मंत्री हो, शिक्षा मंत्री हो, गृह मंत्री हो या प्रधानमंत्री, कोई जवाबदेही नहीं लेना चाहता है। यूपीए के शासन काल में सिर्फ आरोप लगने पर इस्तीफा दे दिया जाता था। आज मंत्री मुस्कुराते हुए आरोप देश के नागरिकों पर लगाता है कि ये ‘मोटिवेटेड प्रोटेस्ट’ हो रहा है।”

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