एन एम सी ने अयोजित की कार्यशाला
सतना।नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने छात्रों के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किए है। इस नए पाठ्यक्रम और शिक्षण तकनीकों में नवाचार को लेकर शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय सतना में चिकित्सा शिक्षकों को प्रशिक्षित करने हेतु मेडिकल एजुकेशन टेक्नोलॉजी पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका समापन गत दिवस शनिवार को किया गया।
इस कार्यशाला में न केवल नई शिक्षण तकनीकों में चिकित्सा को प्रशिक्षित किया गया अपितु उन्हें इस बात के लिए भी प्रेरित किया गया कि, वे यह सुनिश्चित करे कि चिकित्सा को नवीनतम ज्ञान के साथ साथ नैतिक मूल्य, समानुभूति और बेहतर संवाद कैसे किया जाये। इस बाबत भी समुचित प्रशिक्षण प्रदान किया जाये। जिससे कि हमारे देश के मेडिकल ग्रेजुएट जब मेडिकल कॉलेज से पास
होकर निकलें तो न केवल दक्षता में वे अंतराष्ट्रीय मानको पर खरे उतर सकें।
अपितु वह मरीज केंद्रित भावना के साथ प्रोफेशन में दक्षतापूर्वक कार्य कर सकें तथा वे मरीज के साथ एक समानुभूतिपूर्वक संबंध के साथ चिकित्सा कार्य करने के लिए प्रेरित हों। यह कार्यशाला मेडिकल एजुकेशन यूनिट मॅडिकल कॉलेज सतना के तत्वावधान में एवं नेशनल मेडिकल काउंसिल के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकस साइंसेस, बनारस हिंदु यूनिवर्सिटी स्थित रीजनल सेंटर के मार्गदर्शन में एवं उनके अधिकृत उपस्थिति हुई। स्थानीय कार्यशाला प्रतिनिधि की में संपन्न स्तर पर यह अधिष्ठाता डॉ.शशिधर प्रसाद गर्ग के मार्गदर्शन में मेडिकल एजुकेशन यूनिट सतना के समन्वयक प्रोफेसर डॉ. पवन आनंदराव वानखड़े के नेतृत्व में चली, जिसमें डॉ. रमेश कुमार शर्मा, डॉ. गजानन ढोकीकर, डॉ. अम्बरीष मिश्रा, डॉ. सिद्धार्थ विजय वनोदे, डॉ. जितेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, डॉ. रमेश कुमार अग्रवाल, डॉ. धीरेंद्र मिश्रा, डॉ. योगेश शुक्ला, डॉ प्रियंका चौबे ट्रेनर्स शामिल रहे। इस प्रशिक्षण सत्र में सहायक प्राध्यापक स्तर के 30 चिकित्सा शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण में डॉ. कमलेश पलंदुरकर नेशनल मेडिकल काउंसिल के अधिकृत प्रतिनिधि के तौर पर आब्जर्वर के रूप में उपस्थित रहे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में मेडिकल कालेज अधिष्ठाता डॉ. शशिधर प्रसाद गर्ग द्वारा प्रशिक्षु चिकित्सा प्राध्यापकों को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुये उज्जवल भविष्य के लिये कामना की।
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