गुस्सा स्वाभाविक है, लेकिन धैर्य जरूरी

पहलगाम में कायर आतंकवादियों ने जिस तरह धर्म पूछ कर 27 निर्दोष लोगों की हत्या की, उससे पूरे देश में भयंकर गुस्सा है. वारदात के $फुटेज, वीडियो और क्लिपिंग सामने आने के बाद स्वाभाविक रूप से पूरे देश में आक्रोश की लहर है.दरअसल,कश्मीर में आतंकवाद का विद्रुप चेहरा एक बार फिर सामने आया है. जम्मू और कश्मीर में परिवार के साथ छुट्टियां मनाने आए सैलानियों पर आतंकवादियों ने सिर्फ गोलियां नहीं बरसाई हैं, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और 2.5 लाख कश्मीरियों के पेट पर सीधे हमला किया है.इस हमले के बाद अब न सिर्फ कश्मीर की आर्थिक तरक्की पर ब्रेक लगेगा बल्कि लाखों कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर संकट पैदा हो जाएगा. पहलगाम में हुआ आतंकी हमला केवल जान-माल की क्षति नहीं, बल्कि कश्मीर की आत्मा कश्मीरियत पर सीधा हमला है. इस वारदात ने न सिर्फ सैलानियों के भरोसे को तोड़ा है, बल्कि घाटी की आर्थिक रीढ़ कहे जाने वाले पर्यटन उद्योग को भी गहरे संकट में डाल दिया है.हर गोली जो किसी पर्यटक पर चली, उसने कश्मीर की अर्थव्यवस्था को कई साल पीछे धकेल दिया है.धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर के लिए कमाई के प्रमुख स्त्रोतों में पर्यटन का खास स्थान है.कश्मीर का सालाना पर्यटन उद्योग 12,000 करोड़ रुपये का है. एक अनुमान के मुताबिक, साल 2030 तक ये उद्योग बढक़र 25,000 करोड़ से 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने वाला था. राज्य की कुल जीडीपी में कश्मीर के पर्यटन की 7-8 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. मंगलवार को सैलानियों पर हुए आतंकी हमले ने मासूम और निर्दोष लोगों की हत्या के साथ-साथ इस उद्योग के लिए भी शायद कब्र खोद दी है.पहलगाम को भारत का स्विटजरलैंड कहा जाता है, जहां रोजाना बड़ी संख्या में सैलानी घूमने आते हैं.ये हमला ऐसे समय में हुआ जब गर्मी से त्रस्त लोग कश्मीर जाना शुरू करते हैं. जाहिर है ऐसे में, कश्मीर में ये पूरा सीजन तहस-नहस होने वाला है. साल 2020 में यहां 34 लाख सैलानी आए थे, 2021 में कश्मीर आने वाले सैलानियों की संख्या कई गुना बढक़र 1.13 करोड़ हो गई.फिर 2022 में यहां 1.88 करोड़, 2023 में 2.11 करोड़ और 2024 में 2.36 करोड़ सैलानी आए.2024 में आए कुल सैलानियों में 65,000 से ज्यादा विदेशी सैलानी शामिल थे. कश्मीर के प्रमुख टूरिस्ट प्लेस में गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम और डल झील का नाम सबसे ऊपर है.साल 2024 में गुलमर्ग ने 103 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया था.बहरहाल,घटना के तुरंत बाद जिस तरीके से लश्कर ने जिम्मेदारी ली है, उससे जाहिर है कि हमला सुनियोजित था. आतंकी साजिश इस तरह रची गई कि देश में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो.ऐसा लगता है कि तहव्वुर राणा का अमेरिका से प्रत्यार्पण. पाकिस्तान को नागवार गुजारा है. तहव्वुर मुंबई हमले के ऐसे राज खोल सकता है जिससे पाकिस्तान को दुनिया के सामने मुंह छिपाना मुश्किल हो जाएगा.इसके अलावा पाकिस्तान की बौखलाहट का दूसरा कारण भारत सरकार के विकास कार्यों का कश्मीर की जनता के द्वारा मिल रहा समर्थन है. विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जिस तरह से कश्मीर की जनता ने लोकतंत्र के महायज्ञ में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया, वो भी पाकिस्तान बर्दाश्त नहीं कर पाया होगा. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर के मुद्दे पर जिस तरह से भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, वो भी पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को पसंद नहीं आया होगा. यही वजह है कि पिछले दिनों इस्लामाबाद में मुल्ला जनरल के नाम से कुख्यात आसिम मुनीर ने एक बार फिर द्वि राष्ट्र सिद्धांत पर जहर उगला था.जाहिर है पहलगाम आतंकी हमले के पीछे स्पष्ट रूप से

पाकिस्तानी सेना की साजि़श नजर आती है. कुल मिलाकर देश में आक्रोश होना बिलकुल स्वाभाविक है लेकिन संकट की इस घड़ी में सभी को धैर्य बनाए रखना चाहिए तथा सरकार का साथ देना चाहिए.

 

Next Post

आंध्र में पहलगाम हमले के मृतकों के परिजनों को मिलेगी 10 लाख रुपये की सहायता राशि

Thu Apr 24 , 2025
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email विशाखापत्तनम, (वार्ता) आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के पीड़ितों में से एक सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी जेएस चंद्रमौली को श्रद्धांजलि देने के लिए बुधवार देर रात विशाखापत्तनम पहुंचे। […]

You May Like