4158 प्रकरण निबटे, 11.79 करोड़ राशि जमा

सीहोर। जिला न्यायालय परिसर सहित जिले की समस्त तहसील स्तरीय खंडपीठों पर साल की अंतिम नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिला न्यायालय परिसर में कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधान जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) अध्यक्ष प्रकाश चंद्र आर्य द्वारा किया गया.

नेशनल लोक अदालत में कुल 4158 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिसमें 11 करोड़ 79 लाख 57 हजार 212 रुपए की समझौता राशि जमा हुई. वर्ष 2025 में आयोजित लोक अदालतों के दौरान सर्वाधिक पारिवारिक मामलों का निराकरण कर सीहोर जिला प्रदेश में अग्रणी रहा, जिससे अनेक बिखरे परिवार पुन: एकजुट हुए. प्रधान जिला न्यायाधीश आर्य ने कहा कि लोक अदालत पक्षकारों के लिए वरदान है, क्योंकि यहां कोई हारता नहीं है. समय, धन और मानसिक तनाव की बचत के साथ न्याय सुलभ होता है, उन्होंने डीएलएसए सीहोर को आईएसओ 9001 (क्वालिटी मैनेजमेंट) एवं आईएसओ 14001 (पर्यावरण प्रबंधन) प्रमाण-पत्र प्राप्त होने पर बधाई देते हुए कहा कि यह गुणवत्तापूर्ण विधिक सेवाओं का प्रमाण है. इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा आईएसओ प्रमाण-पत्रों का औपचारिक अनावरण किया गया. डीएलएसए सचिव स्वप्नश्री सिंह ने नेशनल लोक अदालत एवं आईएसओ प्रमाणीकरण प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी।

नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण के लिए गठित खण्डपीठों में नेशनल लोक अदालत में आपसी समझौते के आधार पर निराकरण कराने के लिए लंबित कुल 901 प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामा के आधार पर किया गया और समझौता राशि 7 करोड़ 77 लाख 38 हजार 968 रूपये जमा कराई गई। इसी प्रकार नेशनल लोक अदालत की खण्डपीठ के समक्ष कुल 3,257 प्रिलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया और समझौता राशि 04 करोड़ 02 लाख 18 हजार 244 रूपये जमा कराई गई. इस प्रकार नेशनल लोक अदालत में कुल 4,158 प्रकरणों का निराकरण किया गया जिसमें रुपये 11 करोड़ 79 लाख 57 हजार 212 रुपए समझौता राशि जमा हुई.

शिकायतकर्ता निशा कनेरिया व पति जीवन सिंह के के मध्य विवाद का मामला नेशनल लोक अदालत में रेफर किया गया एवं दोनों पक्षों को बुलाकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता गुप्ता द्वारा समझाइश दी गई। प्रधान जिला न्यायाधीश ने भी दोनो को समझाइश दी, इसके परिणामस्वरूप दोनो पक्ष अपने मामले को लोक अदालत के माध्यम से निराकृत कराने के लिए सहमत हो गए। इस अवसर प्रधान जिला न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को पौधे प्रदान कर एवं माला पहनवाकर राजीनामा कराया. इस दौरान एनआईएमएचआर के विद्यार्थियों द्वारा नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई. शासकीय विधि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को लोक अदालत भ्रमण हेतु प्रमाण-पत्र वितरित किए गए. परिसर में बैंक, नपा, विद्युत मंडल आदि विभागों के स्टालों का निरीक्षण कर जनता की समस्या का समाधान कराया गया

अलग रहने वाले पति- पत्नी एक होकर घर लौटे

निर्मलाबाई एवं पति आनंद मेवाड़ा के पारिवारिक विवाद का मामला लोक अदालत पहुंचा. दोनो के दो पुत्रियां और एक पुत्र है। मतभेद ज्यादा हो जाने से पति व पत्नी अलग-अलग रहने लगे और पत्नी निर्मलाबाई ने कुटुम्ब न्यायालय में भरण-पोषण का दावा लगा दिया.न्यायालय में दोनों को समझाइश देने के बाद वह साथ रहने के लिए तैयार हुए. दोनो पुत्रियों और एक पुत्र के अच्छे भविष्य के लिए दोनो को समझाईश देकर मिलाया गया. एक अन्य प्रकरण में पति-पत्नि के मध्य छोटी-मोटी बातों को लेकर वह अलग-अलग रहने लगे. पारिवारिक मामले को दृष्टिगत रखते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायालय वैभव मण्डलोई द्वारा समझाइश के पश्चात् दोनों पक्षों ने राजीनामा कर साथ जाने पर सहमति व्यक्त की.

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