
जबलपुर। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेश के तहत कराई जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य (एसएसआई) की ड्यूटी अब शिक्षकों व शासकीय कर्मचारियों के लिए परेशानी का बड़ा कारण बनती जा रही है। कई शिक्षकों और कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि कर्मचारियों को सुबह 10 बजे से रात 11–12 बजे तक लगातार रोके रखा जा रहा है और जबरन गणना पत्रक बांटने, एकत्र करने तथा डिजिटाइजेशन फीडिंग जैसे कार्य कराए जा रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है शासकीय नियमों में कर्मचारियों की ड्यूटी अवधि स्पष्ट रूप से निर्धारित है, लेकिन एसएसआई कार्य के नाम पर इन नियमों की अनदेखी करते हुए कर्मचारियों को बंधुआ मजदूरी जैसी स्थिति में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उनका कहना है यह पूरा मामला अमानवीय व्यवहार की श्रेणी में आता है और तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
शारीरिक असुविधा का करना पड़ रहा सामना
एसएसआई कार्य कर रहे कुछ कर्मचारियों ने बताया कि लगातार कई घंटे एक ही मुद्रा में बैठकर मोबाइल पर फीडिंग करने से कर्मचारियों को कमर दर्द, आंखों में तनाव, मानसिक थकान और शारीरिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन संबंधित अधिकारी इस ओर बिल्कुल उदासीन दिखाई दे रहे हैं। इसके विपरीत नागरिकों का कहना है कि साल भर सरकारी कर्मचारी कुर्सी तोड़ते रहते हैं, अब जब काम आया तो कमर तोड़ने की बात कर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों ने उच्च अधिकारी जैसे कलेक्टर – कमिश्नर द्वारा रात तक दफ्तरों में पहुंच कर कार्य की समीक्षा करने को भी सराहा है। उनका कहना है कि जब बड़े अधिकारी दिन- रात तत्परता से लगे हैं तो कर्मचारियों को भी कार्य के लिए थोड़ा समझौता करना पड़ेगा।
ड्यूटी को दो या तीन शिफ्टों में बांटा जाए
कर्मचारियों का कहना है कि यदि अधिकारी वास्तव में कार्य समय पर पूरा कराना चाहते हैं तो ड्यूटी को दो या तीन शिफ्टों में बांटा जाए, ताकि कर्मचारियों पर अनावश्यक मानसिक और शारीरिक दबाव न पड़े और कार्य भी सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
कर्मचारियों ने प्रशासन से मांग की है कि वह इस मामले को संवेदनशीलता से लेते हुए तत्काल प्रभावी कदम उठाए, ताकि शासकीय सेवकों को उनकी क्षमता से अधिक और निर्धारित समय से बाहर काम करने के लिए मजबूर न होना पड़े।
इनका कहना है
यह सरकारी काम है, जिसको सभी अधिकारी- कर्मचारियों को मिलकर पूरा करना होगा और लगातार 11 घंटे किसी से भी कार्य नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा होता तो अभी तक कार्य का प्रतिशत भी बढ़ जाता, अभी लगभग 40% ही कार्य हुआ है। सरकारी काम में कोई भी एक्स्ट्रा पेमेंट या कार्य की अवधि निर्धारित नहीं रहती है।
राघवेंद्र सिंह, कलेक्टर
