
खंडवा। पालतू पशुओं में होने वाला घटक लंपी वायरस फिर अटैक करने के मूड में है। खंडवा जिले में पशु उपचार संस्थाएं सचेत हो गई हैं। टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। हालांकि यह प्रक्रिया पूरे समय जारी रहती है। फिलहाल पशु उपचार संस्थानों में दो-तीन केस हर जगह आ रहे हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरी टीम लगी है, जो कमांड में है।
उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ हेमंत शाह ने बताया कि जिले में 60 पशुपालन चिकित्सा संस्थाएं हैं। जिनके केडर अलग-अलग हैं। कहीं पशु चिकित्सक हैं, तो कहीं डिप्लोमा होल्डर और कहीं पर ट्रेंड व्यक्ति हैं। ये संस्थाएं जिले पर पूरी तरह निगरानी रख रही हैं।
पशुपालकों को घबराने की जरूरत नहीं
हालांकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति नहीं है। टीकाकरण के लिए कार्य तेजी से किया जा रहा है।अवकाश के दिनों में भी अधिकारी व कर्मचारी फील्ड से लेकर दफ्तरों तक कार्य कर रहे हैं। श्री शाह के मुताबिक लंपी वायरस के छुटपुट केसेज जिले में कहीं-कहीं देखने को मिले हैं।वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
छूट गए पशुओं का यह है कारण
इसका कारण उन्होंने बताते हुए कहा कि साल में एक बार यह कार्य किया जाता है। तीन माह के छोटे बच्चे को वैक्सीन नहीं लगता है। ऐसी स्थिति में वह छूट जाता है। अगला वैक्सीनेशन टाइम आते आते वह 14 से 16 माह का हो जाता है। ऐसे कुछ जानवरों में लक्षण आ जाते हैं। फिलहाल उन सब का उपचार सफलतापूर्वक किया गया है। किसानों और पशुपालकों को भी श्री शाह ने कहा है कि अपने जानवरों के लिए पूरी तरह सतर्कता और निगरानी रखें। यदि ऐसी स्थिति किसी जानवर में दिखती है, तो तुरंत पशु चिकित्सालय से संपर्क करें। हालांकि डरने की कोई बात नहीं है।
स्वस्थ पशुओं को अलग रखें
स्वस्थ पशुओं को बीमार पशुओं से अलग रखें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएं। पशु रखने के स्थान की सफाई रखें एवं पशुओं के शरीर पर परजीवी जैसे किल्ली, मक्खी, मच्छर आदि को नियंत्रित करने के उपाय करें।
ऐसे लक्षण दिखे तो जांच कराएं
लम्पी पशुओं में होने वाली एक वायरस जनित बीमारी है, जो कि संक्रामक होती है। यह बीमारी मुख्यत: गो-वंशीय पशुओं में वर्षा के दिनों में फैलती है। इस रोग की शुरूआत में हल्का बुखार दो से तीन दिन के लिये रहता है, उसके बाद पूरे शरीर की चमड़ी में गठानें निकल आती हैं। ये गठानें गोल उभरी हुई आकृति की होती हैं। इस बीमारी के लक्षण मुंह, गले, श्वास नली तक फैल जाते हैं, साथ ही पैरो में सूजन, दुग्ध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी -कभी मृत्यु भी हो जाती है। यह रोग मच्छर, काटने वाली मक्खी एवं किल्ली आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलती है। अधिकतर संक्रमित पशु 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाते है, किन्तु दूध की उत्पादकता में कमी कुछ समय बनी रह सकती है।
अपने पशुओं को टीका लगवाए
पशुपालन विभाग द्वारा लम्पी वायरस से बचाव एवं रोगग्रस्त पशुओं के उपचार के संबंध में एडवाइजरी जारी की है। संचालक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. पी. एस. पटेल ने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए पशुओं को प्रतिबंधात्मक टीका अवश्य लगवाएं। पशुपालक अपने पशुओं में लम्पी स्किन डिसीज के लक्षण दिखाई देने पर निकटतम पशु औषधालय या पशु चिकित्सालय से तत्काल संपर्क कर बीमार पशुओं का उपचार कराएं।
जिले में टीकों की पर्याप्त व्यवस्था
इधर,डॉक्टर हेमंत शाह उपसंचालक ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा लम्पी वायरस की चुनौती से निपटने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। संक्रमण से बचाव के लिए टीकों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, मुफ्त टीकाकरण किया जा रहा है एवं पशु पालकों को रोग से बचाव के संबंध में आवश्यक परामर्श दिया जा रहा है। प्रदेश में पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा माह अप्रेल 2025 से कुल 41.5 लाख पशुओं को एल.एस.डी. रोग प्रतिबंधात्मक टीका लगवाया जा चुका है।
