
देवास। जिले भर में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। देवास जिले के सभी छह ब्लॉकों सोनकच्छ, बागली, खातेगांव, सतवास, हाटपीपल्या और टोंकखुर्द में कथित डॉक्टर खुलेआम एलोपैथिक इलाज कर रहे हैं।
ग्रामीण अंचलों में ये फर्जी डॉक्टर बिना किसी डिग्री या मान्यता के एंटीबायोटिक और स्टीरॉयड जैसी शक्तिशाली दवाइयाँ दे रहे हैं, जिससे आम लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इनमें से अधिकांश के पास बायोमेडिकल वेस्ट निपटान का लाइसेंस भी नहीं है। इलाज के दौरान निकलने वाला मेडिकल कचरा खुले में फेंका जा रहा है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है।
सूत्रों के अनुसार, कई झोलाछाप डॉक्टरों की मिलीभगत स्थानीय पैथोलॉजी लैब संचालकों से है। बताया जाता है कि मरीजों की जांच कराने पर इन लैबों से झोलाछाप डॉक्टरों को 40 से 50 प्रतिशत तक कमीशन दिया जाता है। इस कमीशन के लालच में ग्रामीणों से अनावश्यक जांच कराई जा रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भी बोझ बढ़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह अवैध चिकित्सा कारोबार वर्षों से चल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो यह स्थिति जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका पक्ष नहीं मिल सका। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस गंभीर मामले पर कब सक्रियता दिखाते हैं और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कब सख्त कार्रवाई करते हैं।
