
जबलपुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर खून के काले कारोबार का पर्दाफाश हुआ है। इस बार खून के 2 दलालों को जागृति समिति मंच के पदाधिकारियों ने स्टिंग ऑपरेशन करके मेडिकल के सिक्योरिटी गार्ड के हवाले किया जिसके बाद इन दलालों को गार्डों द्वारा गढ़ा पुलिस थाना में ले जाया गया। जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे मेडिकल के इंडियन कॉफी हाउस में ब्लड डोनेशन संस्था जागृति समिति मंच के पदाधिकारियों से दो दलालों ने जैसे ही 5 हजार रुपए में एक यूनिट खून बेचने की बात कही, ठीक वैसे ही उन्होनें मेडिकल अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारियों को जानकारी दी.. बस फिर क्या था सूचना पर तत्काल मेडिकल के सिक्योरिटी गार्ड पहुंच गए और खून बेचने की बात कहने वाले दो युवकों को पकड़कर पुलिस थाने ले गए। इस संबंध में समिति के पदाधिकारियों ने नवभारत को बताया कि एक जरूरतमंद को खून देने के लिए वे मेडिकल अस्पताल आए थे जहां उनकी मुलाकात अन्नू और जॉनसन के रूप में हुई है। इन युवकों ने उन्हें बताया कि वे कुछ रूपए लेकर खून उपलब्ध करा देंगे और ये सुविधा पूरी तरह प्राईवेट रहेगी। पूरे मामले में गढ़ा टीआई प्रसन्न कुमार शर्मा ने नवभारत से कहा कि जागृति संस्था द्वारा दो युवकों को खून की दलाली करते हुए पकड़ा गया था और फिर मेडिकल के गार्ड द्वारा थाने लाया गया है, जिसमें युवकों से पूछताछ जारी है। पूछताछ व जांच पूरी होने के बाद एफआईआर दर्ज की जएगी।
आज तक दलालों पर नहीं हुई ठोस कार्रवाई
ये कोई पहला मौका नहीं है जब संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों व उनके परिवार की मजबूरी का फायदा उठाकर दलालों द्वारा खून बेचा गया हो। इसके पहले भी कई दलाल मेडिकल परिसर से पकड़े तो गए हैं लेकिन जब ये पुलिस थाने आते हैं तो इन पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं है। जानकारी के अनुसार सिक्योरिटी गार्ड खून के दलालों को थाने लेकर तो आते हैं लेकिन बाद पुलिस जब पुलिस जांच के लिए, बयान के लिए इन्हें थाने बुलाती है तो वे आते नहीं है जिसका फायदा सीधा खून के दलालों को हो जाता है। अभी तक यही देखा गया है कि खून बेचते मेडिकल में जो पकड़े गए हैं उनके खिलाफ पुलिस ने मामूली धाराएं के तहत मामला बनाकर छोड़ दिया है। इस बार फिर से दो खून के दलाल गढ़ा पुलिस के शिकंजे में है क्या पुलिस की कार्यशैली बदलेगी , क्या दलालों पर ठोस कार्रवाई होगी या फिर पुराने ढर्रे पर ही पुलिस अपना काम करेगी.. ये सारी चीजें आने वाले दिनों में साफ हो जाएंगीं। विदित हो कि मेडिकल अस्पताल में खून की दलाली का एक गिरोह सक्रिय है जो कि मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर 3 हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक में खून बेचने का काम करता रहा है।
प्रबंधन की जिम्मेदारी सिर्फ फोटो लगाने तक सीमित
मेडिकल डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने नवभारत से कहा कि मेडिकल अस्पताल में खून की दलाली करने वाले जितने सामने आए हैं उन सभी की फोटो मेडिकल परिसर में लगा दी जाती थी और मरीजों से अपील की जाती है कि इन दलालों से सावधान रहें। इस बार दो दलालों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया है। कार्रवाई का जिम्मेा पुलिस का है। डीन की इस बात से ये तो साफ हो गया कि खून के दलालों को लेकर अस्पताल प्रबंधन की कार्रवाई सिर्फ परिसर में फोटो लगाने तक ही सीमित है।
