नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के मामले में तीन आरोपियों दानिश, फैजान और नजीर को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने यह आदेश अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। इनकी ओर से अधिवक्ता सुलैमान मोहम्मद खान ने पैरवी की।
गौरतलब है कि यह हिंसा 24 नवंबर 2024 को उस समय भड़की थी जब जिला और पुलिस प्रशासन, चंदौसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के 19 नवंबर के दीवानी मामले में आदेश के बाद जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुंचा था। इस सर्वे का उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या मस्जिद परिसर में कभी कोई मंदिर मौजूद था।
दर्ज हुई प्राथमिकी के अनुसार, सर्वे के विरोध में बड़ी संख्या में लोग वहां इकट्ठा हो गए और देखते ही देखते स्थिति हिंसक हो गई। भीड़ ने कथित रूप से पथराव और फायरिंग की, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचा।
मामले में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की कई धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें धारा 191(2), 191(3), 190, 109(1), 125(1), 125(2), 221, 132, 121(1), 121(2), 324(4), 323(ख) और 326(एफ) शामिल हैं। साथ ही, कुछ और धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
फैजान और दानिश ने पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 19 मई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। इसी तरह, नजीर ने 28 मई के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, जिसमें दो प्राथमिकी में उसके खिलाफ आरोप लगाए गए थे।
सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने माना कि इस चरण पर अभियुक्तों की निरंतर हिरासत आवश्यक नहीं है। अदालत ने उनकी अपीलें स्वीकार कर जमानत दे दी।
