भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक संबंध सदैव गहरे और बहुआयामी रहे हैं. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक और रणनीतिक बंधन सदियों से विकसित होते आए हैं. अफगानिस्तान का भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व भारत के लिए केवल पड़ोसी ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा का अहम केंद्र भी रहा है. ऐसे में काबुल में भारतीय दूतावास की बहाली का निर्णय न केवल द्विपक्षीय सम्बन्धों की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि दक्षिण एशिया की बदलती राजनीति और सुरक्षा समीकरणों में भारत की सक्रिय भूमिका को भी दर्शाता है.अफगानिस्तान में तालिबान के अगस्त 2021 में सत्ता में आने के बाद भारत ने तत्काल प्रभाव से अपने दूतावास को बंद कर दिया था. यह कदम तब पूरे क्षेत्रीय परिदृश्य की अनिश्चितता और तालिबान शासन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता के अभाव की प्रतिक्रिया के रूप में लिया गया था. हालांकि, भारत ने अफगानिस्तान के प्रति अपने समर्थन और प्रभाव को बनाए रखने के लिए जून 2022 में काबुल में एक ‘तकनीकी मिशन’ भेजा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने तालिबान शासन को औपचारिक रूप से मान्यता न देते हुए भी वहां अपनी उपस्थिति बनाए रखने का संकल्प रखा है.अब, उस ‘तकनीकी मिशन’ को तत्काल प्रभाव से पूर्ण दूतावास का दर्जा देना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और कूटनीतिक संकेत है. यह कदम कई मायनों में विश्लेषण और समझ की मांग करता है. सबसे पहले, यह भारत की यह नीति दर्शाता है कि अफगानिस्तान में सत्ता में जो भी शासन हो, भारत दोहराए जाने वाले संकटों और द्विपक्षीय साझेदारी की संभावनाओं के बीच संवाद और सहयोग की राह पकडऩा चाहता है. इसके अंतर्गत अफगानिस्तान के विकास प्रोजेक्ट्स, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण में भारत की भूमिका को बढ़ावा देने का लक्ष्य है.
दूसरी ओर, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह तालिबान शासन को अभी भी औपचारिक मान्यता नहीं दे रहा है, क्योंकि दूतावास का नेतृत्व चार्ज डी’अफेयर्स स्तर का होगा, न कि राजदूत. यह नीति भारत की परंपरागत ‘सशर्त मान्यता’ की पृष्ठभूमि को दर्शाती है, जिसमें वह अपनी सुरक्षा चिंताओं, मानवाधिकार और क्षेत्रीय स्थिरता की स्थितियों के आधार पर तालिबान के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाएगा.भारत-अफगानिस्तान के ऐतिहासिक संबंध गहराई, समझ और सहयोग की मिसाल हैं. प्राचीन काल से सिल्क रोड के जरिए द्विपक्षीय व्यापार हुआ, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने दोनों देशों के लोगों को जोड़ा. आधुनिक दौर में भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में अरबों डॉलर निवेश किए, जिसमें सडक़, ऊर्जा, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र प्रमुख थे. यह सहयोग अफगानिस्तान के स्थिर और समृद्ध होने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता का आईना है.काबुल में दूतावास की बहाली न केवल कूटनीतिक उपस्थिति का विस्तार है, बल्कि यह क्षेत्रीय रणनीति में भारत की सक्रियता को भी दर्शाता है. अफगानिस्तान के माध्यम से भारत अपनी सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और पड़ोसी देशों के साथ बेहतर तालमेल बनाने का प्रयास करता रहा है. यह कदम भारत के लिए तालिबान शासन के साथ संवाद स्थापित करने और अफगानिस्तान के स्थाई शांति प्रयासों में योगदान देने की जटिल लेकिन आवश्यक पहल है.कुल मिलाकर काबुल में भारतीय दूतावास की बहाली भारत-अफगानिस्तान के मजबूत ऐतिहासिक, सामाजिक और रणनीतिक रिश्तों का पुनरूद्धार है. यह दक्षिण एशिया में शांति, समृद्धि और विकास की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है, जो न केवल भारत के विदेश नीति के एजेंडे में महत्व रखता है बल्कि पूरे क्षेत्रीय समीकरणों को भी प्रभावित करेगा.
