आत्मनिर्भर किसान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ का शुभारंभ करते हुए भारतीय कृषि की दिशा और दशा बदलने का एक नया अध्याय खोला है. यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने की दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि यह उन 100 जिलों के लिए जीवनरेखा साबित हो सकती है, जो अब तक कृषि उत्पादकता के मामले में पिछड़े रहे हैं.देश के इन जिलों में कृषि उत्पादकता को राष्ट्रीय औसत तक लाने का लक्ष्य इस योजना का केन्द्रीय उद्देश्य है. छह वर्षों की अवधि के लिए ?24,000 करोड़ के वार्षिक परिव्यय के साथ यह योजना लगभग 1.7 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को सीधे लाभान्वित करेगी. प्रधानमंत्री मोदी का यह निर्णय स्पष्ट करता है कि उनकी सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि किसानों की जमीन पर बदलाव लाने की ठोस कार्यनीति पर काम कर रही है.इस योजना के माध्यम से केंद्र सरकार ने एक साथ कई कृषि चुनौतियों पर प्रहार किया है, सिंचाई की कमी, फसल विविधीकरण की कमी, भंडारण सुविधाओं का अभाव, और कृषि ऋण की जटिल प्रक्रिया. अब ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा देकर जल प्रबंधन को टिकाऊ बनाया जाएगा, वहीं पंचायत और ब्लॉक स्तर पर आधुनिक भंडारण केंद्र विकसित किए जाएंगे ताकि फसल कटाई के बाद होने वाली बर्बादी रोकी जा सके.

सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ आकांक्षी जिला कार्यक्रम के सिद्ध मॉडल से प्रेरित है. जैसे आकांक्षी जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ, वैसे ही अब इन कृषि जिलों में उत्पादन, आय और आत्मनिर्भरता के नए मानक स्थापित होंगे. सरकार ने कृषि, पशुपालन, डेयरी और सहकारिता के 11 मंत्रालयों की योजनाओं को एक समन्वित ढांचे में जोडक़र एकीकृत विकास की दिशा में बड़ा कदम उठाया है.

कृषि केवल फसल उत्पादन तक सीमित नहीं है; यह ग्रामीण भारत की आजीविका का केंद्र है. इसलिए प्रधानमंत्री ने इसके साथ ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ भी लॉन्च किया है, जिस पर ?11,440 करोड़ खर्च होंगे. इसका उद्देश्य भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि देश की प्रोटीन सुरक्षा सुनिश्चित हो और किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त हो.प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीते दस वर्षों में किसानों के लिए कई दूरगामी सुधार किए गए हैं, जैसे पीएम-किसान सम्मान निधि, ई-नाम प्लेटफॉर्म, फसल बीमा योजना, जैविक खेती और सहकारिता मंत्रालय की स्थापना. अब ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ इन सभी प्रयासों को एक व्यापक ढांचे में जोड़ती है.भारत की कृषि आत्मा गांवों में बसती है, और जब गांव सशक्त होंगे तो राष्ट्र समृद्ध होगा. यह योजना उसी दृष्टि की प्रतीक है. यदि राज्य सरकारें और स्थानीय निकाय इस मिशन को गंभीरता से लागू करें, तो अगले कुछ वर्षों में देश के पिछड़े जिले भी ‘धान्यवान’ बन सकते हैं.प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ वास्तव में किसान को आत्मनिर्भरता, सम्मान और समृद्धि की ओर ले जाने वाली दिशा है, जहां खेतों में केवल अनाज नहीं, बल्कि विश्वास और भविष्य की रोशनी भी उगेगी.

 

 

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