नयी दिल्ली 24 सितंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में एक स्कूल मैदान पर चल रहे रामलीला समारोह पर रोक लगाने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तत्काल सुनवाई के लिए बुधवार को सहमति जतायी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने रामलीला आयोजन समिति की याचिका पर मामले को गुरुवार को तत्काल सूचीबद्ध करने की अनुमति दे दी ।
याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि उच्च न्यायालय ने आयोजकों का पक्ष सुने बिना ही अंतरिम आदेश पारित कर दिया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर विचार करते हुए पाया था कि स्कूल के खेल के मैदान में सीमेंट की इंटरलॉकिंग टाइलें बिछाई जा रही हैं ताकि उसे रामलीला जैसे आयोजनों के लिए स्थायी स्थल बनाया जा सके। न्यायालय ने यह भी कहा कि स्कूल के मुख्य द्वार का नाम बदलकर ‘सीता राम द्वार’ कर दिया गया है और झूले लगा दिए गए हैं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो सकती है और बच्चों को खेल के मैदान से वंचित होना पड़ सकता है।
राज्य के अधिकारियों ने बचाव करते हुए तर्क दिया कि पिछले 100 वर्षों से वहाँ रामलीला का आयोजन होता आ रहा है और यह प्रतिदिन शाम सात से 10 बजे तक ही होता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि टाइलें जलभराव की समस्या से निपटने के लिए बिछाई गई थीं।
उच्च न्यायालय ने इन तर्कों पर असहमति जताते हुए आयोजन के लिए स्कूल के मैदान के उपयोग पर रोक लगा दी। साथ ही राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
