नयी दिल्ली, 19 सितम्बर (वार्ता) कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग जब भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) तथा एक निजी कंपनी को डाटा दे सकता है तो कांग्रेस को यह डाटा देने में परहेज क्यों किया जा रहा है।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने आधिकारिक पेज में आयोग से सवाल किया है कि चुनाव आयोग से बार-बार डाटा मांगा जा रहा है लेकिन आयोग पार्टी को डाटा नहीं दे रहा है जबकि इससे पहले वह बीआरएस तथा एक निजी कंपनी को डाटा उपलब्ध करा चुका है। आयोग ने इस निजी कंपनी को पेंशनर लाइव वेरिफिकेशन के लिए यह डाटा सौंपा था।
पार्टी ने सवाल किया, “चुनाव आयोग ने तेलंगाना की बीआरएस सरकार और प्राइवेट कंपनी को वोटरों का डेटा दिया था। इसमें वोटरों की तस्वीर और उनका पता शामिल था। तेलंगाना सरकार ने 2019 में ‘पेंशनर लाइव वेरिफिकेशन सिस्टम’ लॉन्च किया था और इस काम को एक प्राइवेट कंपनी को सौंपा गया था। इसी काम के लिए चुनाव आयोग ने वोटरों का डेटा साझा किया था। ये जानकारी रिपोर्टर्स कलेक्टिव की एक रिपोर्ट में सामने आयी है।”
कांग्रेस ने कहा कि एक तरफ मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार वोटरों का डेटा देने में बहानेबाजी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ चुनाव आयोग पहले ही वोटरों का डेटा एक प्राइवेट कंपनी और एक राजनीतिक पार्टी उसकी सरकार की पेंशन योजना के लिए सौंप चुका है।
पार्टी ने कहा, “देश में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा सबसे अहम है और जनता चुनाव आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद करती है। हम लगातार चुनाव आयोग से वोटरों का डेटा मांग रहे हैं, ताकि उसकी निष्पक्ष जांच हो और ‘वोट चोरी’ रोकी जा सके। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को ये डेटा साझा करना चाहिए, वरना देश की जनता ये मानेगी कि ज्ञानेश कुमार वोट चोरों का साथ दे रहे हैं, उनकी रक्षा कर रहे हैं।”
