काठमांडू, 12 सितंबर (वार्ता) नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कार्की का जन्म सात जून, 1952 को विराटनगर हुआ। वह अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने विराटनगर से कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद 1979 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। वह 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं।
न्यायमूर्ति कार्की ने जुलाई 2016 से जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनकर इतिहास रच दिया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर कदम उठाने की नीति अपनाई।
उन्होंने 1972 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक और 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कानूनी पेशे के अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 1988 से 1990 तक कोशी जोनल बार की अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह 2002 से 2004 तक विराटनगर अपीलीय बार की अध्यक्ष भी रहीं।
उन्हें 19 दिसंबर, 2004 को वरिष्ठ अधिवक्ता का खिताब मिला। चार साल बाद, 22 जनवरी, 2009 को, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया और दो साल बाद, 18 नवंबर, 2010 को, वह सर्वोच्च न्यायालय की स्थायी न्यायाधीश बनीं और छह साल बाद, जुलाई 2016 में, वह देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं और लगभग एक साल तक न्यायपालिका का नेतृत्व किया।
30 अप्रैल 2017 को, माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस ने उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया था। बाद में जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के संसद को प्रस्ताव पर आगे न बढ़ने का अंतरिम आदेश देने के बाद महाभियोग प्रस्ताव वापस ले लिया गया था।
