जबलपुर: गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव का महापर्व 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त हो चुका है। इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दूसरे दिन सूतक और चंद्रगहण के चलते प्रतिमाएं विसर्जन को नहीं पहुंची। जिसके चलते तीसरे दिन भी विसर्जन का क्रम जारी रहा। अनंत चतुर्दशी से ज्यादा समितियों द्वारा तीसरे दिन प्रतिमाओं को विसर्जन करने के लिए लेकर गए। शहर में बहुत सी भव्य प्रतिमाएं विसर्जन कुंड और तालाबों में विसर्जित की गई, जिसमें बड़े ही धूमधाम से गणपति बप्पा को विदाई दी गई।
विर्सजन कुंडों में लगी मूर्तियों की कतारें
गणेश विसर्जन का दौर तीसरे दिन बड़े ही भव्य तरीके से मनाया गया । गाजे- बाजे और शहनाइयों, ढोल- धमाकों के साथ गणपति बप्पा का विसर्जन जुलूस निकाला गया । जिसमें बड़ी संख्या में लोग अपनी समिति द्वारा विराजमान किए गए गणेश प्रतिमाओं को लेकर विसर्जन कुंड व तालाब पहुंचे। अधिक संख्या में गणेश प्रतिमाएं विसर्जन कुंड में देखने को मिली। जिसमें धीरे-धीरे करके सभी प्रतिमाएं विसर्जित की गई।
सूतक के चलते बंद थे कपाट
उल्लेखनीय है कि रविवार को भादों की पूर्णमा पर चन्द्र ग्रहण रहा, चंद्र ग्रहण का सूतक 7 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 19 मिनट पर शुरू हो गया था। जिसके चलते मंदिरों और पंडालों के पट बंद हो गए थे और गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं हो सका। ग्रहण की समाप्ति 8 सितंबर की देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर हुई। जिसके बाद सोमवार सुबह से ही विसर्जन का दौर शुरू हो गया था।
कजरवारा के महराजा ने भ्रमण कर दिए दर्शन
भवानी नवयुवक गणेश उत्सव समिति कजरवारा में 63 वें वर्ष में महराज जी की स्थापना की गई। भक्तिभाव से पूजन कर उपनगरीय क्षेत्र कजरवारा में भ्रमण कर मां नर्मदा जी के तट पर बने कुंड में विसर्जन किया गया। कजरवारा, सिद्धेश्वरी नगर नई बस्ती, बजरंग बस्ती, भोंगाद्वार, धोबीघाट, गोराबाजार, बिलहरी का भ्रमण ढोल, नगाड़ों के साथ महाराजा ने भक्तों को आशीर्वाद दिया। समिति की महिला मंडल सदस्यों ने भजन गायन कर विदाई दी।
