नयी दिल्ली, 04 सितंबर (वार्ता) स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार वस्तु एवं सेवा कर में जीएसटी में कटौती से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वार्षिक आधार पर 0.1-0.16 अंकों की वृद्धि और मुद्रास्फीति में वार्षिक आधार पर प्रतिशत 0.40-0.60 अंकों की कमी आ सकती है।
बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 के मध्य में जीएसटी की दरों में कटौती से राजकोषीय घाटे पर प्रभाव सीमित रहेगा। स्टैंडर्ड चार्टड के विश्लेषण के अनुसार जीएसटी में कटौती से राजस्व में 35,000 करोड़ रुपये (जीडीपी के 0.10 प्रतिशत) की कमी आ सकती है। जबकि जीएसटी उपकर से प्राप्त राजस्व 30,000 करोड़ या जीडीपी के 0.08 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी),और मुद्रास्फीति के पूर्वानुमानों को बरकरार रखते हैं।
बैंक के विश्लेषण में कहा गया है कि प्रत्यक्ष कर/जीएसटी उपकर संग्रह की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। इसी तरह अमेरिकी शुल्कों को देखते हुए निर्यातकों को राजकोषीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
विश्लेषण में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में अप्रत्यक्ष करों की वसूली 1.15 लाख करोड़ रुपये कम हो सकती है जो जीडीपी के 0.32 प्रतिशत के बराबर गिरावट होगी। इस गिरावट में कार्पोरेट कर में 15 हजार करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आय कर में 1 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित गिरावट शामिल है।
रिपोर्ट में अनुमान है कि रिजर्व बैंक से प्राप्त होने वाला लाभांश अनुमानित 55 हजार करोड़ रुपये ऊंचा रह सकता है तथा पेट्रोलियम क्षेत्र से राजस्व में भी अनुमान से 50 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है।
इस तरह जीएसटी, उपकर, प्रत्यक्ष कर और लाभांश में घट बढ़ के उपरोक्त अनुमानों के आधार पर कुल राजस्व घाटे में 50-60 हजार करोड़ रुपये यानी जीडीपी के 0.14 से 0.17 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड के इस विश्लेषण में बिस्कुट, चॉकलेट, चीनी, मिठाई -केक, धोने के साबुन, सैनिटरी सामान , नहाने के साबुन , पाउडर-क्रीम और तेल-शैम्पू पर जीएसटी को 18 या 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत के दायरे में लाने से खुदरा मुद्रास्फीति में वार्षिक आधार पर 0.60 प्रतिशत अंक की कमी आने का अनुमान है।
