सतना/चित्रकूट:महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ऊर्जा और पर्यावरण विभाग तथा मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बौद्धिक संपदा अधिकार कार्यशाला के दूसरे दिन आर के डी एफ यूनिवर्सिटी भोपाल के कुलगुरु प्रो विजय अग्रवाल ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक और शोधकर्ता अपनी बौद्धिक संपत्ति के प्रति उदासीन रहे हैं। इस कारण पश्चिमी देशों ने हमारी प्राचीन संपदा को पेटेंट कराने की दिशा में छल पूर्वक प्रयास किया। हमे इस दिशा में जागरूक रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा के पेटेंट के मामले में हम दुनिया में 7 वें पायदान पर हैं। हमारा पड़ोसी देश चीन पहले नंबर पर है क्योंकि वहा के वैज्ञानिक और युवा नवाचार में दक्ष हो रहे। हमे अपने युवाओं की बौद्धिक क्षमता का विकास करना चाहिए जिसमे शैक्षिक संस्थान तथा शोध संस्थान प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।भौतिकीय विज्ञान विभाग की प्राध्यापक डा वन्दना पाठक ने बौद्धिक संपदा अधिकार एवं आधुनिक समाज में में उसकी प्रासंगिकता पर बोलते हुए कहा कि आजकल सभी लोग एआई पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। एआई का सीमित उपयोग बौद्धिक क्षमता के विकास में सहायक होगा। हम सभी कार्य एआई के माध्यम से करना चाहते हैं जबकि बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए अपने मन मस्तिष्क का प्रयोग अधिकाधिक करना होगा।
जंतु विज्ञान विभाग के प्राध्यापक प्रो.रमेश चंद्र त्रिपाठी ने जीआई टैगिंग एवं भारतीय उत्पादों के बारे में वार्ता प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि चित्रकूट के उत्तर प्रदेश वाले हिस्से में जी आई टैग से संबंधित कई पेटेंट है जबकि मध्यप्रदेश क्षेत्र में एक भी नहीं। इस दिशा में हमें प्रयास करके आगे आना होगा। इतिहास विषय के शोध छात्रइस मौके पर शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दीपक राव ने बौद्धिक अधिकार संपदा एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण पर अपना लेख प्रस्तुत किया । वनस्पति विज्ञान की शोध छात्रा प्रियदर्शिका रानी ने आईपीआर एवं वनस्पति विज्ञान पर विस्तृत लेख प्रस्तुत किया।
कार्यशाला के समन्वयक प्रो.घनश्याम गुप्ता ने बौद्धिक संपदा अधिकार एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के बीच में एक विस्तृत वार्ता प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रंथोमें बौद्धिक संपदा अधिकार एवं यू एस पी का विस्तृत वर्णन है।नल नील,काकभुसुंड,दुर्योधन, यकलव्य,अर्जुन, जनक, भीष्म पितामह , दशरथ, केवट,विश्वामित्र, सरभंग, बाल्मिकि, अगस्त,नारद, बाली बर्बरीक,मारीच , यंत्रों में पुष्पक,स्थानो में काशी, प्रयाग, नासिक, कामदगिरी, मंदाकिनी, गया एवं गंगा का उदाहरण देते हुए इसको विस्तृत रूप से प्रतिपादित किया। प्रो. गुप्ता ने कहा कि विकसित प्रौद्योगिकी के व्यवसायीकरण हेतु प्रयोगशाला के विचारों का उद्योग की मशीनों में स्थानांतरण हेतु एवं व्यवहारिक विचारों पर काम करने और उद्योग की समस्याओं के समाधान देने के साथ बौद्धिक संपदा अधिकार को प्रोत्साहित करने के लिए केंद एवं राज्य सरकार के प्रयास से विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इन्नोवेशन एंड ट्रांसफर टेक्नोलॉजी खोलना होगा। विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के अधिष्ठाता प्रो.सूर्यकांत चतुर्वेदी ने आभार प्रकट किया
