गगनयान: मानव रहित मिशन इसी साल, 2027 में जायेंगे अंतरिक्ष यात्री

नयी दिल्ली, 21 अगस्त (वार्ता) भारत के अपने अंतरिक्ष मिशन गगनयान की तैयारी का 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है और इस साल के अंत तक पहला मानव रहित मिशन लॉन्च किया जायेगा जबकि साल 2027 के आरंभ में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जायेगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान बताया कि गगनयान मिशन की तैयारी का काम जोरशोर से चल रहा है। व्हीकल हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम, क्रू इस्केप सिस्टम और पैराशूट का विकास आदि समेत 80 प्रतिशत तैयारी पूरी कर ली गयी है। शेष 20 प्रतिशत काम भी मार्च 2026 तक पूरे कर लिए जायेंगे।

डॉ. नारायणन ने कहा कि इस साल की अंतिम तिमाही में, संभवतः दिसंबर के आसपास, पहला मानव रहित मिशन जी-1 लॉन्च किया जायेगा। इसके बाद साल 2027 में इसरो पहली बार मावन मिशन अंतरिक्ष में भेजेगा।

उन्होंने बताया कि हाल ही में वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जाने वाले पहले भारतीय बने। वह एक्सिओम-4 मिशन में पायलट के तौर पर आईएसएस पर गये थे। उन्होंने वहां अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष में खेती जैसे क्षेत्रों में सात प्रयोग किये और उनके इस अनुभव से गगनयान मिशन में काफी मदद मिलेगी।

संवाददाता सम्मेलन में अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, श्री शुक्ला, ग्रुप कैप्टन और प्रशांत नायर भी मौजूद थे। श्री शुक्ला और श्री नायर गगनयान के चार संभावित क्रू सदस्यों में शामिल हैं। अन्य दो संभावित क्रू सदस्य अजित कृष्णन और अंगद प्रसाद हैं।

इसरो प्रमुख ने कहा कि श्री शुक्ला के अंतरिक्ष के अनुभवों से चार हजार पन्नों का दस्तावेज तैयार किया गया है जो आने वाली पीढ़ियों के भी उपयोगी होगा।

ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने बताया कि उनके द्वारा अंतरिक्ष में किये गये प्रयोगों का विश्लेषण करने के बाद उनके परिणाम सामने आ सकेंगे। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इसने एक पारिस्थितिकी तैयार की है, अब हमें पता है कि अंतरिक्ष के लिए प्रयोग कैसे डिजाइन किये जाने चाहिये।

डॉ. नारायणन ने बताया कि पिछले 10 साल में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। मिशनों की संख्या दुगुनी हो गयी है। आज से 10 साल पहले जहां अंतरिक्ष क्षेत्र में मात्र एक स्टार्टअप था अब उनकी संख्या 300 हो गयी है। अगले दो-तीन महीने में भारतीय रॉकेट से 6,500 किलोग्राम के अमेरिकी उपग्रह का प्रक्षेपण किया जायेगा। भारत जी20 देशों के एक उपग्रह का भी प्रक्षेपण करेगा। पिछले पांच साल 2,150 लोगों की जान बचाने में इसरो का योगदान रहा है।

श्री सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के मोदी सरकार के फैसले से इसरो के अंतरिक्ष मिशनों की लागत कम हुई है और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 85 गुना बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि एक्सिओम मिशन में श्री शुक्ला ने जितने भी प्रयोग किये वे सभी भारतीय संस्थानों द्वारा तैयार किये गये थे जिनमें जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान शामिल हैं। लेकिन इन प्रयोगों के परिणाम का लाभ पूरी दुनिया को मिलेगा जो ‘विश्व बंधु भारत’ का उदाहरण है।

 

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