ग्वालियर: सुप्रसिद्ध भगवताचार्य पंडित घनश्याम शास्त्री ने बताया है कि 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन अष्टमी उदय काल में मिल रही है, जो रात तक रहेगी इसलिए 16 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना उत्तम रहेगा। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी को हुआ था, इसलिए अष्टमी तिथि की रात्रि में 16 अगस्त को ही मिल रही है। इस साल भी वैसा ही संयोग मिल रहा है। बस रोहिणी नक्षत्र अगले दिन लगेगा।
जन्माष्टमी पर ठाकुरजी का दूध, दही, घी, शहद, इत्र और गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद ठाकुरजी को पीले वस्त्र पहनाए, उनको आभूषण पहनाएं। माखन मिश्री का भोग लगाएं और बांसुरी उनके हाथ में रखें। इसके बाद उन्हें झूला झुलाएं। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है शास्त्री जी ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी व्रत में सुबह अष्टमी तिथि से शुरू हो जाता है। इस व्रत में सुबह स्नान करके भगवान कृष्ण की पूजा करें और हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि आप आज जन्माष्टमी का व्रत रख रहे हैं। इस दिन व्रत में अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। जन्माष्टमी के व्रत में पूरे दिन व्रत रखना है।
अगले दिन नवमी तिथि पर कान्हा जी के जन्म के बाद ही व्रत खोल सकते हैं। इस दिन फल, दूध ले सकते हैं। सिंघाड़े का आटा या आलू खा सकते हैं। भगवान कृष्ण की भक्ति में मन लगाएं। इस दिन निर्जला रहने का नियम नहीं है। नवमी तिथि पर भगवान का जन्म कराने के बाद ही व्रत का पारण कर सकते हैं। इस साल रोहिणी नक्षत्र अगले दिन मिल रहा है, तो कुछ लोग इस दिन व्रत का पारण करेंगे। इस दिन व्रत का पारण करने के लिए फलाहारी या उपवास का खाना बनाएं तो साफ सफाई का ध्यान रखें। व्रत के लिए अलग भोजन बनाएं। इसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल करें। मन को स्थिर रखकर गीता का पाठ करें। श्रीकृष्ण के मंत्रों का जप धीमी आवाज में करना चाहिए
