मंडला:सीवरेज लाइन प्रोजेक्ट का काम नगरवासियों के लिए मुसीबत बन गया है। अभी सीवरेज लाइन शुरू भी नहीं हुई, लेकिन इसकी दुर्दशा लोगों को भारी पड़ने लगी है। शहर की लगभग 140 किमी लंबाई में डाली जा रही सीवरेज लाइन के चलते जगह-जगह सड़कें खोदी गईं, जिनकी मरम्मत सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रही। बारिश में हालात और बदतर हो गए हैं।
सड़कों पर कई जगह गहरे गड्ढे हो गए हैं, तो कई चेंबर के ढक्कन टूट चुके हैं। कुछ जगहों पर चेंबर सड़क से ऊपर बने हैं तो कहीं धंस चुके हैं। इससे वाहन चालकों को परेशानी और दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बना हुआ है। लोग खुद ही गड्ढों और खुले चेंबर से बचने के उपाय करने को मजबूर हैं।बताया गया है कि नर्मदा नदी में गिर रहे गंदे पानी को रोकने के उद्देश्य से यह सीवरेज प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। लेकिन निर्माण कार्य में भारी लापरवाही बरती जा रही है। घटिया क्वालिटी के ढक्कन तीन महीने भी नहीं टिक पा रहे हैं। एमपीयूडीसी (MPUDC) के अधिकारी जबलपुर में बैठकर मंडला के पूरे प्रोजेक्ट को चला रहे हैं, जबकि यहां सिर्फ एक उपयंत्री को जिम्मेदारी दी गई है।
बिना निगरानी के ठेका कंपनी की मनमानी
प्रोजेक्ट में लगी ठेका कंपनी मनमर्जी से काम कर रही है। न कोई ठोस निगरानी, न गुणवत्ता की जांच। घटिया निर्माण से चेंबर और पाइपलाइन जल्द ही टूटने लगे हैं। मरम्मत के नाम पर बार-बार सड़कें खोदी जा रही हैं, जिससे नागरिकों को लगातार परेशानी उठानी पड़ रही है।
एसटीपी का निर्माण जारी
मंडला के गौझी में 7.75 एमएलडी और महाराजपुर में 1.75 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) का काम चल रहा है। योजना मंडला की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर बनाई गई है। भविष्य में 1.20 लाख जनसंख्या को ध्यान में रखकर इस प्रोजेक्ट की नींव रखी गई, लेकिन वर्तमान में हो रही लापरवाही भविष्य के लिए भी खतरे की घंटी है।
प्रशासन का दावा
एमपीयूडीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर गोपाल गुप्ता का कहना है कि “दिसंबर तक पूरा प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा और सड़कों की मरम्मत गुणवत्ता के साथ की जाएगी। निगरानी जारी है।”
हालांकि, जमीनी हकीकत इससे उलट नजर आ रही है।
