पटना, 25 जुलाई (वार्ता) बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पटना शहर की बढ़ती आबादी के हिसाब से सड़कों पर पेट्रोल, डीजल चालित वाहनों की बढ़ती संख्या, निर्माण कार्यों में प्रयुक्त निर्माण संयंत्रों, औद्योगिक गतिविधियों अन्य यांत्रिक उपकरणों, विभिन्न अवसर पर लाउडस्पीकर, लोक संबोधन प्रणाली, डी.जे. के अनियंत्रित उपयोग से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के प्रति जन-सामान्य में जागरूकता बढ़ाने का निर्णय लिया है।
राजधानी पटना में 26 जुलाई से शुरु होने वाले इस अभियान के लिये नगर को चार प्रक्षेत्रों में बांटा गया है। इसके तहत अगले आठ दिनों तक ई-रिक्शा पर ध्वनि प्रदूषण से संबंधित फ्लेक्स बोर्ड लगाकर क्षेत्र में घुमाया जाएगा, जिससे नागरिकों में जागरूकता बढ़ेगी।लोगो को इस बात के लिए भी जागरूक किया जाएगा कि विहित प्राधिकार की अनुमति के बिना लाउडस्पीकर लोक संबोधन प्रणाली का उपयोग वर्जित है तथा रात्रि 10 बजे से सुबह 06 बजे के बीच भी लाउडस्पीकर ,सार्वजनिक संबोधन प्रणाली के उपकरणों के उपयोग की मनाही होगी।
इसके अलावा रात्रि एवं शांत क्षेत्रों यथा न्यायालयों, चिकित्सालयों, शैक्षणिक संस्थाओं, आवासीय क्षेत्रों एवं अन्य संवेदनशील प्रक्षेत्रों जैसे सचिवालय, विधानमंडल, राज भवन, जैविक उद्यान आदि के 100 मीटर के दायरे में शोर उत्पन्न करने वाले पटाखें, हॉर्न एवं निर्माण संयंत्रों का उपयोग वर्जित है।
नियमों का उलंघन करने पर संबंधित व्यक्ति ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 प्रावधानों के उल्लंघन पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (यथा संशोधित) की धारा 15 में वर्णित आर्थिक दंड के भागी होंगे।
इसके साथ ही नियमों का उल्लंघन करने पर डीजे और अन्य उपकरण जब्त भी किये जा सकते हैं।
