टोक्यो, 21 जुलाई (वार्ता) जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने आज हाउस ऑफ काउंसलर्स के चुनाव में मिली करारी हार के बावजूद पद पर बने रहने का संकल्प लिया।
चुनाव में सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उसके गठबंधन सहयोगी बहुमत हासिल करने में विफल रहे। 1955 में पार्टी की स्थापना के बाद से यह पहली बार है जब एलडीपी ने संसद के दोनों सदनों में बहुमत खो दिया है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री इशिबा ने निराशाजनक परिणामों को स्वीकार किया और इसके लिए अपनी पूरी जिम्मेदारी ली।
उन्होंने कहा कि इस समय सबसे ज़रूरी राष्ट्रीय राजनीति में ठहराव से बचना है ।उन्होंने एक अग्रणी दल के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के प्रयासों का संकल्प लिया।
एनएचके सरकारी टेलीविज़न के अनुसार प्रधानमंत्री का सत्तारूढ़ गठबंधन 248 सीटों वाले महत्वपूर्ण संसदीय चुनाव में उच्च सदन में बहुमत हासिल करने में विफल रहा। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और उसके कनिष्ठ गठबंधन सहयोगी ‘कोमेइतो’ को इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए पहले से मौजूद 75 सीटों के अलावा 50 सीटें और जीतनी थीं। दो और सीटों पर फैसला होना बाकी था जबकि गठबंधन के पास केवल 46 सीटें थीं।
इस बीच प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी बढ़ती जीवन-यापन लागत और नीतिगत ग़लतियों को लेकर बढ़ते जन असंतोष के बीच आई है जिसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि सत्तारूढ़ गुट के खराब प्रदर्शन का कारण यही गलतियां रही।
आज तड़के पूरी हुई अंतिम मतगणना के अनुसार एलडीपी को ऊपरी सदन के चुनाव में 125 सीटों में से केवल 39 सीटें मिलीं जबकि कोमेइतो को आठ सीटें मिलीं जो उनके संयुक्त लक्ष्य 50 से कम है।
अपनी मौजूदा 75 सीटों के साथ भी उनके पास अब 248 सदस्यीय ऊपरी सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 125 सीटों से कम सीटें हैं। इस झटके के बावजूद श्री इशिबा ने सरकार में स्थिरता और निरंतरता की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की अपनी मंशा की घोषणा की।
यह हार श्री इशिबा के गठबंधन के लिए बड़ा झटका है क्योंकि अक्टूबर में निचले सदन के चुनाव में हार के बाद यह दोनों सदनों में अल्पमत में आ गया है । इससे देश की राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है।
चुनाव में खराब प्रदर्शन निश्चित रूप से उनके राजनीतिक करियर और जापान की राजनीतिक स्थिरता पर अनिश्चितता को और गहरा करेगा। श्री इशिबा को एलडीपी पार्टी के भीतर से पद छोड़ने या कोई अन्य गठबंधन सहयोगी खोजने के आह्वान का सामना भी करना पड़ सकता है।

