नई शिक्षा नीति से भारत को फिर मिलेगा विश्वगुरु का स्थान

इंदौर: प्रदेश के उच्च शिक्षा, आयुष एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति भारतीयता पर केंद्रित है, जो हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा, भाषा, विज्ञान और संस्कृति को समाहित करते हुए एक संपूर्ण शैक्षिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

श्री परमार देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) परिसर में आयोजित डिज़ाइन संस्थान के शुभारंभ एवं सिविल इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं कंसल्टेंसी प्रयोगशाला के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मंत्री श्री परमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति न केवल पाठ्यक्रम आधारित सुधार है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है, जो भारतीय विद्यार्थियों को रोज़गार, शोध और नवाचार के लिए वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा योग्य बनाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार का उद्देश्य युवाओं को तकनीकी, व्यावसायिक एवं रचनात्मक शिक्षा से सशक्त बनाना है।

कार्यक्रम में मंत्री श्री परमार ने बैचलर ऑफ डिज़ाइन (B.Des) पाठ्यक्रम के शुभारंभ को समयानुकूल पहल बताया और कहा कि डिज़ाइन क्षेत्र में यह शिक्षा युवाओं को वैश्विक अवसर प्रदान करेगी। यह रोजगार सृजन का भी बड़ा माध्यम बनेगी। उन्होंने IET एलुमनाई द्वारा निर्मित सिविल इंजीनियरिंग प्रयोगशाला को पूर्व छात्रों की सराहनीय सहभागिता बताते हुए इसे शिक्षा संस्थानों में जनसहभागिता का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने की। श्री सिंघई ने सम्बोधित करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिये एक नई पहचान है। यह नवाचार, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम है। विश्वविद्यालय के इस प्रयास से इंदौर को डिजाइन और सिविल इंजीनियरिंग में राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी। विशिष्ट अतिथि के रूप में राऊ विधायक शमधु वर्मा उपस्थित थे।

श्री वर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता के गुणात्मक सुधार के ‍लिये तेजी से प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि विश्वविद्यालय की भूमि के सुनियोजित विकास के लिये मास्टर प्लान बनाया जाये। विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य डॉ. ए. के. द्विवेदी, श्री ओम शर्मा, सुश्री मोनिका गौर, अनंत पवार आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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