नयी दिल्ली, 17 जुलाई (वार्ता) पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि देश में पेट्रोलियम अवसंरचना क्षेत्र में अगले दस वर्ष में 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है जिसमें राज्यों की भी बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारत अब 40 से अधिक देशों से तेल-गैस की खरीद कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में पेट्रोलियम अवसंरचना क्षेत्र में चार लाख लाख करोड़ से अधिक का निवेश किया है जिससे पेट्रोलियम क्षेत्र में राष्ट्रीय क्षमता मजबूत हुई है और राज्यों के स्तर पर ठोस फायदा हुआ है। श्री पुरी यहां उर्जा क्षेत्र पर राजधानी के भारत मंडपम में आयोजित ‘ऊर्जा वार्ता-2025’ को संबोधित कर रहे थे।
श्री पुरी ने रूस से तेल खरीदने पर भारत और अन्य देशों के खिलाफ व्यापारिक कार्रवाई किए जाने के लिए पश्चिमी देशों में उठ रही आवाजों के बीच के संदर्भ में कहा कि रूस एक बड़ा तेल उत्पादक है और संकेत दिया कि बाजार में रूस का तेल कम हुआ तो उठापटक की स्थिति बन सकती है।
पेट्रोलियम मंत्री ने पेट्रोलियम अवसंरचना पर किए गए भारी निवेश के संदर्भ में कहा कि पिछले एक दशक में पेट्रोलियम अवसंरचना क्षेत्र में चार लाख करोड़ रूपये का निवेश हुआ है “इससे न केवल राष्ट्रीय क्षमता को मजबूत किया है, बल्कि राज्य स्तर पर भी ठोस मूल्य सृजित किया है।” उन्होंने कहा, ‘ अगले 10 वर्षों में 30-35 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ, आने वाला दशक पूरे देश में ऊर्जा अवसंरचना विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा।”
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि 2025 और 2035 के बीच, भारत में संपूर्ण हाइड्रोकार्बन मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण निवेश होने की उम्मीद है।
श्री पुरी ने कहा, “इन निवेशों के लिए राज्यों के नेतृत्व और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होगी। केंद्र सरकार वित्त पोषण, नीति और समन्वय के माध्यम से इन प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हमें सामूहिक रूप से आवर्ती चुनौतियों का समाधान करना होगा।”
रूस-यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया में तनाव जैसे वैश्विक भू-राजनीतिक व्यवधानों के बीच भारत की ऊर्जा सुरक्षा स्थिति पर सवालों का जवाब देते हुए, श्री पुरी ने कहा कि भारत ने सक्रिय रूप से अपने कच्चे तेल के आयात स्रोतों को 27 से बढ़ाकर 40 देशों तक कर दिया है।
उन्होंने रूसी तेल आयात के विषय पर स्पष्ट किया कि रूस 90 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक उत्पादन के साथ दुनिया के शीर्ष तेल उत्पादकों में से एक बना हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि वैश्विक बाजार से इस (रूस के 97 लाख बैरल प्रतिदिन तेल की) आपूर्ति को अचानक हटा देने से अराजकता पैदा हो जाती और कीमतें 130-200 डॉलर प्रति बैरल के बीच पहुँच जातीं।
श्री पुरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत ने कभी कोई प्रतिबंधित माल नहीं खरीदा है और रूसी तेल वैश्विक प्रतिबंधों के अधीन नहीं है, बल्कि केवल एक मूल्य सीमा है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला की जमीनी हकीकत को दर्शाने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री पुरी ने इस अवसर पर खनिज तेल, गैस की खोज एवं उत्पादन (ई एंड पी), ऊर्जा लचीलापन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत की व्यापक रणनीति प्रस्तुत की।
ऊर्जा वार्ता 2025 में मंत्रालय की ओर से एक मज़बूत, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल पेट्रोलियम अन्वेषण एवं उत्खन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने अंडमान बेसिन की महत्वपूर्ण हाइड्रोकार्बन क्षमता का उल्लेख किया और इसकी तुलना खनिज तेल प्रचुर गुयाना बेसिन से की। उन्होंने प्रबल आशावाद व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि हमें गुयाना के आकार के कई क्षेत्र मिलेंगे, विशेष रूप से अंडमान सागर में।
भारत के प्रमुख अपस्ट्रीम तेल और गैस सम्मेलन, ऊर्जा वार्ता 2025 का दूसरा संस्करण भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के संरक्षण में हाइड्रा कार्बन महानिदेशालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय और राज्य मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों, वैश्विक उद्योग जगत के नेताओं, क्षेत्र विशेषज्ञों और मीडिया पेशेवरों सहित 700 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
देश में ऊर्जा की बढ़ती माँग और निवेश की व्यापक संभावनाओं पर पेट्रोलियम मंत्री महोदय ने कहा, “पिछले पाँच वर्षों में, भारत ने वैश्विक तेल माँग में 16 प्रतिशत का योगदान दिया है और 2045 तक वैश्विक ऊर्जा माँग में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।
